नहीं छोड़ी है पार्टी की जिम्मेदारी, बोले आरसीपी- अध्यक्ष से मंत्री तक सब पद नीतीश कुमार की देन
पार्टी कार्यालय के कर्पूरी सभागार में आयोजित स्वागत समारोह में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सहमति के बाद ही वह केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं.
पटना. केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद पहली बार सोमवार को पटना पहुंच केंद्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह ने जदयू नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. पार्टी कार्यालय के कर्पूरी सभागार में आयोजित स्वागत समारोह में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सहमति के बाद ही वह केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं. चाहे वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे या वर्तमान में केंद्रीय मंत्री पद पर, यह सिर्फ नीतीश कुमार की देन है.
कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ के बीच उन्होंने कहा कि पार्टी की जिम्मेदारी अब भी नहीं छोड़ी है. वह पार्टी के कार्यों को देखने के लिए बूथ तक जायेंगे. यह भी कहा कि पार्टी का काम देखने वह दूसरे प्रदेशों में भी जायेंगे. उन्होंने जोर देकर कहा कि पार्टी के नेता नीतीश कुमार ही हैं. इसमें किसी को कोई संदेह नहीं रहना चाहिए. पार्टी में किसी तरह की पनपने वाली गुटबंदी को उन्होंने इशारों में ही खारिज कर दिया.
केंद्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह के सोमवार को पटना पहुंचने पर पार्टी नेताओं ने भव्य स्वागत किया. एयरपोर्ट से गाजे-बाजे और कार्यकर्ताओं के हुजूम के साथ जदयू कार्यालय पहुंचे आरसीपी सिंह ने पार्टी नेताओं को संगठन की शक्ति का हवाला देते हुए कहा कि 2019 और 2021 में बहुत फर्क है. 2019 में जदयू के 71 विधायक थे और 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद अब सिर्फ 41 विधायक रह गये हैं.
जदयू विधायकों की संख्या में 30 की कमी आयी है. उन्होंने भाजपा की शक्ति का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र में भाजपा के 303 सांसद हैं. यह प्रधानमंत्री का बड़प्पन है कि उन्होंने अपने सहयोगी दलों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र में शामिल नहीं होने से भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती कि पता नहीं कि यहां क्या हो रहा है. अब केंद्र और राज्य दोनों में एनडीए की सरकार है. साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 2025 तक एनडीए सरकार चलाने की जिम्मेदारी मिली है.
उन्होंने कहा कि पार्टी के एकमात्र नेता नीतीश बाबू हैं. बिना उनसे पूछे अब तक कोई काम नहीं किया है. एक भी ऐसा निर्णय नहीं है, जो नीतीश कुमार से पूछे बगैर उन्होंने लिया हो. केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की एक प्रक्रिया है. इसके लिए पार्टी से नाम मांगा जाता है और उसके बाद नेता की सहमति के बाद मंत्रिमंडल में शामिल हुआ जाता है.
केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ने और नये अध्यक्ष ललन सिंह का नाम लिये बगैर कहा कि पार्टी नेताओं को निराश होने की जरूरत नहीं है. राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद भी वह बूथ लेबल तक दौरा करेंगे. कार्यकर्ता इस भ्रम में नहीं रहें कि किस नेता ने क्या बयान दिया है.
नेताओं के बयान पर दिग्भ्रमित नहीं होने की सलाह दी और कहा कि पार्टी को मजबूत करना सबकी जिम्मेदारी है. अगर पार्टी बूथ लेबल तक मजबूत नहीं होती है, तो यह स्थिति जोखिम वाली है. उन्होंने पार्टी के पदाधिकारियों को अाश्वासन दिया कि उनको मान-सम्मान मिलेगा. जल्द ही कमेटियों में पार्टी नेताओं को स्थान मिलेगा. साथ ही उनके मंत्रालय में भी स्थान दिया जायेगा.
बोर्ड और कमेटियाें में नेताओं को शामिल होने को लेकर उन्होंने अाश्वासन दिया कि इनमें इतने पद है कि नेताओं की संख्या कम पड़ जायेगी. इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा, अभय कुशवाहा सहित पार्टी के विधायक, पूर्व विधायक सहित अन्य नेता मौजूद थे.
आरक्षण से आगे निकल चुकी है बात
आरसीपी सिंह ने कहा कि हमारे नेता नीतीश कुमार जातीय जनगणना और आरक्षण के मुद्दे से आगे निकल चुके हैं. उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना की मांग हमारी पार्टी की रही है. लेकिन, जातीय जनगणना की मांग 1970, 1980 और 1990 के दशक में आरक्षण को लेकर जितनी थी, अब उसकी मांग उतनी नहीं रही.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया. बिहार में सात निश्चय का काम तो उससे आगे निकल गया है. जातीय जनगणना को लेकर प्रधानमंत्री से मिलने को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बिहार के विशेष राज्य के दर्जे को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी समय मांगा गया था, पर समय नहीं मिला. रही बात जातीय जनगणना की तो कांग्रेस नीत यूपीए की सरकार ने 2011 में सामाजिक आर्थिक व जातीय जनगणना करायी थी.
Posted by Ashish Jha