हथुआ. हथुआ राज के महाराजा के चचेरे भाई जितेंद्र प्रताप शाही की गोली लगने से रविवार को मौत हो गयी. घटना हथुआ थाना क्षेत्र के बबुआ जी कैंपस की है. पुलिस ने घटनास्थल से एक लाइसेंसी हथियार, गोली और कई आपत्तिजनक सामान बरामद किये हैं. मौत की जांच के लिए एसपी स्वर्ण प्रभात ने एफएसएल और डॉग स्क्वॉयड को बुलाया है. हथुआ एसडीपीओ अनुराग कुमार के नेतृत्व में पुलिस जांच कर रही है. पुलिस प्रथम दृष्टया आत्महत्या मान रही है.
बताया जाता है कि रविवार की दोपहर करीब एक बजकर 10 मिनट पर लाइसेंसी हथियार से गोली चली. गोली इंजीनियर जितेंद्र प्रताप शाही के गले में जाकर लगी और मौके पर ही उनकी मौत हो गयी. घटना के दो से तीन घंटे बाद पुलिस को सूचना दी गयी. एसपी स्वर्ण प्रभात ने बताया कि प्रथम दृष्टया मामला आत्महत्या का लगा रहा है, लेकिन पुलिस मृतक के साथ पूर्व के विवाद, पारिवारिक विवाद समेत अन्य घटनाओं पर जांच कर रही है. पुलिस पोस्टमार्टम कराने की तैयारी में थी, लेकिन रात के 7:30 बजे तक शव को पोस्टमार्टम के लिए नहीं भेजा जा सका था. इस घटना के बाद पुलिस ने आलीशान मकान को छावनी में तब्दील कर दिया है और कमरे में एफएसएल टीम के पहुंचने तक किसी के आने-जाने पर रोक लगा दी है.
बता दें कि मृत जितेंद्र प्रताप शाही हथुआ एस्टेट के स्व. कैलाश शाही उर्फ बबुआ जी के सबसे छोटे भाई थे. हथुआ में उनके बड़े भाई शैलेंद्र प्रताप शाही व भतीजे रहते हैं. वहीं उनका परिवार पटना में रहता है. हथुआ में अपनी संपत्ति और जायदाद की देखभाल करने के लिए अक्सर हथुआ आते रहते थे. घटना को लेकर लोग तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं. वहीं, परिवार के सदस्य इस घटना के बारे में कुछ बताने से परहेज कर रहे हैं.
हथुआ स्टेट को पिछले दो वर्षों में यह दूसरा मौका है जब राज परिवार ने अपना सदस्य खोया है. 2016 में राज की आखिरी महारानी की मौत के बाद दो साल भी नहीं हुए हैं जब इस राजघराने के सबसे बुजुर्ग शख्स बीपी शाही का निधन हुआ. ब्रजेश्वर प्रसाद शाही राजघराने का होने के बावजूद राजसी ठाठ-बाट से अलग रहते थे. वे ज्यादतर समय अध्यात्म को देते थे. वे इस मायने में अलग थे कि हजारों एकड़ जमीन और करोडो़ं की जायदाद रहने के बावजूद उनका मोह संपत्ति से नहीं रहा. बीपी शाही का जन्म 1935 में पटना के अंटा घाट आवास में हुआ था. उन्होंने तीन विषयों साइकोलॉजी, इंग्लिश और म्यूजिक में एमए की डिग्री ली थी. किताबें पढ़ने के ऐसै शौकीन कि उनकी लाइब्रेरी में हजारों किताबें हैं.
इस समय हथुआ राज घराने में महाराज मृगेंद्र प्रताप शाही राज घराने में वंशज के रूप में है, जो इलाके के सौन्दर्य को लेकर भी सक्रिय रहते हैं. महाराज मृगेंद्र ने जिला मुख्यालय में थावे का प्रसिद्ध के लिए 50 एकड़ जमीन रजिस्ट्री किया हैं. राजघराने की पुरानी बग्घी से यात्रा शुरू की जाती है. हथुआ राज के वंशज महाराज मृगेंद्र प्रताप शाही ने बताया कि यह कई साल पुरानी परंपरा है जिसे वह आज भी निभाते आ रहे हैं. विजयादशमी के दिन शस्त्रों की पूजा भी होती है. उन्होंने बताया कि इससे पहले राजा-महाराजा पूरे क्षेत्र में भ्रमण कर प्रजा की तकलीफों को सुनते थे. हथुआ राज घराने में यूं तो भवनों और इमारतों की कमी नहीं हैं. शीश महल, पुराना किला, मैरेज हॉल, नया किला समेत कई सारे इमारत राजघराने के पास हैं. इसमें से एक किले में सैनिक स्कूल, एक में इंपीरियल स्कूल, सहित कई सारे भवन लीज पर दिए गए हैं, जबकि मैरेज हाल में आज भी शादियां होती हैं.
हथुआ राज परिवार का विरासत और धरोहर को संभालने का शौक है. बिहार के हथुआ राज महल में पांच विंटेज कारें आज भी चमाचमा रही हैं. कैरेवन इंटरनेशनल, व्यूक, लिंकन व वैक्सॉल विंटेज कारों को देख कर लोग कैमरे में कैद करना व सेल्फी लेना नहीं भूलते हैं. इन कारों के काफिला के साथ जब कभी हथुआ राज के वर्तमान वंशज महाराज बहादुर मृगेन्द्र प्रताप साही सड़क पर निकलते हैं तो ट्रैफिक थम जाती हैं. लोग अपलक निहारने लगते हैं. कैरेवन इंटरनेशनल छह सिलेंडर वाली पेट्रोल इंजन की कार है. इस कार में दो पलंग, एक बाथरूम, किचेन, फोन, पंखा आदि की सुविधा है. वर्ष 1940 में हथुआ के महाराजा ने इस कार को दो हजार रुपए में अमेरिका से जहाज से कोलकाता तक मंगाया था. तत्कालीन महाराज गुरु महादेव आश्रम प्रताप साही इसी कार से अपने इलाके में सैर करते थे.