बिहार में बच्चों को अप्रिय घटना से बचाने की पहल, मिड डे मील को सबसे पहले चखेंगे प्राचार्य और रसोइये
बिहार के स्कूलों में मध्याह्न भोजन तैयार होने के बाद सबसे पहले विद्यालय के प्रधानाध्यापक, रसाेइया को उसे चखना होगा. भोजन करने के बाद रजिस्टर पर यह लोग भोजन की गुणवत्ता और स्वाद को लिखेंगे. प्रधानाध्यापक द्वारा मिड डे मिल चखने के आधे घंटे बाद ही बच्चों को मध्याह्न भोजन बांटा जायेगा.
बिहार के सरकरी स्कूलों से अक्सर मिड डे मील खाने से बकचोक के बीमार होने की खबर आती रहती है. इसका सबसे बड़ा कारण होता है खाने की खराब गुणवत्ता. ऐसे में राज्य सरकार ने अब बच्चों को मिड डे मील खाने की वजह से होने वाली अप्रिय घटनाओं से बचाने की नई पहल की है. अब प्रदेश के कक्षा एक से आठ वीं तक के स्कूली बच्चों को दिये जाने वाले मध्याह्न भोजन को सबसे पहले उस स्कूल के प्रधानाध्यापक और रसोइये चखेंगे. साथ ही मॉनीटरिंग करने वाले शिक्षा विभागीय अफसरों को भी उस भोजन को चखना होगा.
प्राचार्य के चखने के आधे घंटे बाद बच्चों को दिया जाएगा भोजन
प्रधानाध्यापक द्वारा मिड डे मील चखने के आधे घंटे बाद ही बच्चों को मध्याह्न भोजन बांटा जायेगा. इस आशय के दिशा निर्देश बिहार राज्य मध्याह्न भोजन योजना समिति के निदेशक सह विशेष सचिव सतीश चंद्र झा ने जारी किये हैं. इस संदर्भ में सभी पीएम पोषण योजना के जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को भी निर्देशित किया है. झा ने लिखा है कि यह कदम अप्रिय घटनाक्रम से बचने के लिए उठाया गया है.
रजिस्टर पर भोजन की गुणवत्ता और स्वाद को करना होगा दर्ज
जारी आदेश में कहा गया है कि मध्याह्न भोजन तैयार होने के बाद सबसे पहले विद्यालय के प्रधानाध्यापक, रसाेइया को उसे चखना होगा. भोजन करने के बाद रजिस्टर पर यह लोग भोजन की गुणवत्ता और स्वाद को लिखेंगे. क्रम के आधार पर विद्यालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष /सचिव/ एवं अभिभावकों को भी भोजन चखना होगा. भोजन गुणवत्ता की टिप्पणी रजिस्टर में दर्ज करना अनिवार्य होगा. यह आदेश तत्काल प्रभाव से प्रभावी कर दिया गया है. विभागीय अफसर इस मॉनीटरिंग के दौरान बच्चों के साथ भोजन करेंगे.