Bihar Weather : मार्च के महीने में ही गर्मी लोगों के पसीने छुड़ा रही है. सुबह आठ बजे से कड़ी धूप निकलने से परेशानी बढ़ गयी है. मंगलवार को अधिकतम तापमान 34 डिग्री तक पहुंच गया. मार्च महीने में यह अब तक का सबसे अधिक तापमान रिकॉर्ड किया गया. वहीं न्यूनतम तापमान भी 20 डिग्री तक रह रहा है.
लोगों का कहना है कि इस बार फरवरी के अंतिम सप्ताह से ही कड़ी धूप निकलने शुरू हो गयी थी. वहीं मार्च के पहले सप्ताह से ही अधिकतम तापमान में चार से पांच डिग्री की बढ़ोतरी हुई. मार्च में जब यह हालात है तो अप्रैल व मई के महीने में गर्मी इस बार रिकॉर्ड स्तर पर रहेगी. दिन में कड़ी धूप में निकले लोग काफी असहज महसूस कर रहे हैं.
तापमान में तेजी से हो रहे बदलाव के कारण सीजनल बीमारियां भी बढ़ गयी है. हर घर में कोई ना कोई इस समय वायरल इन्फेक्शन से पीड़ित है. सर्दी, खांसी व बुखार होना अभी आम बात हो गयी है. खासकर इस समय स्कूल से कड़ी धूप के बीच लौट रहे स्कूली बच्चों में वायरल तेजी से असर कर रहा है. सिर में दर्द और खांसी की शिकायत भी बढ़ी है. चिकित्सक लोगों को कड़ी धूप से आकर तुरंत पानी ना पीने की सलाह दे रहे हैं.
गर्मी बढ़ने के साथ लू चलने की आशंका बढ़ने लगी है. स्वास्थ्य विभाग ने इसे देखते हुए एलर्ट जारी किया है. साथ ही लोगों को सतर्क किया है. स्वास्थ्य सचिव के सेंथिल कुमार ने इसको लेकर सभी प्रमंडलीय आयुक्तों के साथ ही डीएम और सिविल सर्जनों के नाम मार्गदर्शिका भी जारी की है.
विभाग द्वारा जारी मार्गदर्शिका में कहा गया है कि लू का सर्वाधिक असर बच्चों, गर्भवती महिलाओं और दूध पिलाने वाली माताओं के साथ बुजुर्गों पर होता है. इनकी सुरक्षा के लिए पूर्व से तैयारियां की जानी जरूरी है. मार्गदर्शिका में प्रशासनिक स्तर के साथ मेडिकल काॅलेज अस्पताल, जिला अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्रों के राज्य स्वास्थ्य समिति के स्तर पर किये जाने वाले कार्यों का पूरा विवरण भी भेजा गया है.
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अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में जीवनरक्षक दवाएं उपलब्ध रखें. अस्पतालों में पीने के पानी की व्यवस्था रखी जाये. साथ ही हीट स्ट्रोक से पीडि़त व्यक्ति के इलाज के लिए अस्पतालों में अलग वार्ड और बेड की व्यवस्था की जाये. राज्य स्वास्थ्य समिति को निर्देश दिये गये हैं कि समिति के कार्यालय में नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाये. जिला प्रशासन को पूर्व से गठित महामारी समिति से समन्वय करते हुए रोगियों के निरोधात्मक व उपचारात्मक कार्य करने को कहा गया है.