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बिहार में सुधरी सहकारी बैंकों की सेहत, पूंजी बढ़ी, एनपीए घटा

कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा है कि राज्य के सहकारी बैंक अब दयनीय हालत में नहीं हैं. वह आर्थिक रूप से मजबूत हुए हैं.

पटना. कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा है कि राज्य के सहकारी बैंक अब दयनीय हालत में नहीं हैं. वह आर्थिक रूप से मजबूत हुए हैं.

बिहार राज्य सहकारी बैंक और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों की पूंजी में 79 करोड़, 47 लाख 36 हजार रुपये की वृद्धि हुई है. इन बैंकों के एनपीए में 43 करोड़ 54 लाख 19 हजार रुपये की कमी आयी है. इन बैंकों का एनपीए 0.81 फीसदी घटा है.

सहकारी बैंकों की प्रबंध समिति ही बैंक के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी की नियुक्ति के लिए सक्षम प्राधिकार है. अमरेंद्र प्रताप सिंह बुधवार को विधान परिषद में राजद के सुनील कुमार सिंह के तारांकित प्रश्न का जवाब बतौर प्रभारी मंत्री दे रहे थे.

सुनील सिंह ने सहकारी बैंकों में उच्च पदाधिकारियों की नियुक्ति प्रक्रिया में दोष होने और अफसरों की लापरवाही के कारण केंद्र सरकार द्वारा राज्य को 370 करोड़ रुपये का आवंटन न करने का मामला उठाया था.

जल्द होगी मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी की नियुक्ति

प्रभारी मंत्री अमरेंद्र प्रताप ने बताया कि आरबीआइ द्वारा तय किया गया है कि सहकारी बैंकों में मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी की नियुक्ति राज्य सहकारी बैंक के स्तर से नहीं किया जाना है. इस कारण एचएलसी की बैठक में तय हुआ कि इस पद पर नियुक्ति को चयन कमेटी गठित की जाये.

कमेटी में आरबीआइ , नाबार्ड, वित्त विभाग, सहकारिता विभाग एवं बिहार राज्य सहकारी बैंक के प्रतिनिधियों की शामिल किया गया है. सहकारी बैंकों में मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी की नियुक्ति की नोडल एजेंसी बिहार राज्य सहकारी बैंक के एमडी हैं.

अभी राज्य सरकार ने बैंक के कार्य संचालन को राजपत्रित पदाधिकारियों को प्रबंध निदेशक के रूप में प्रतिनियुक्त किया है.

Posted by Ashish Jha

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