पटना: सरकारी स्वास्थ्य अस्पतालों में मुफ्त उपलब्ध करायी जाने वाली दवाओं को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने गंभीर रुख अपनाया. अस्पतालों में चिकित्सकों के परामर्श के बाद दी जाने वाली मुफ्त दवा हर मरीज को मिले इसको लेकर विभाग ने नया निर्देश जारी किया है. फ्री ड्रग सर्विस इनिसेएटिव के तहत अस्पतालों में मरीजों के बीच वितरित होने वाली दवाओं की अब ऑनलाइन मॉनीटरिंग प्रतिदिन की जायेगी.
दवाओं की सूची की ऑनलाइन मॉनीटरिंग का काम इ-औषधि (ड्रग एंड वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट सिस्टम) के जरिये होगा. जिलों को निर्देश दिया गया है कि अस्पतालों में भविष्य में दवाओं की होने वाली खपत का आकलन भी इ-औषधि पोर्टल पर दर्ज करना होगा. इस कार्य में लापरवाही होने पर संबंधित स्वास्थ्य पदाधिकारी, भंडार के इंचार्ज के साथ अन्य पदाधिकारियों पर कार्रवाई होगी.
राज्य में मिशन-60 के तहत जिलों में अस्पतालों की व्यवस्था सुधार के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पूर्व की संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में व्यापक बदलाव कर दिया है. नये मानक के अनुसार अस्पातालों में इलाज करानेवाले ओपीडी के मरीजों को अब पांच दिनों की मुफ्त दवाएं दी जानी है. साथ ही अस्पतालों में भर्ती मरीजों को मुफ्त दवा दी जानी है और उनको डिस्चार्ज करने के बाद भी पांच दिनों की मुफ्त दवा दी जानी है.
इसको लेकर विभाग द्वारा इस दिशा में नया निर्देश सभी जिलों को दिया गया है. इसी कड़ी में अब स्वास्थ्य विभाग ने ई-औषधि पोर्टल को और कारगर बनाने के लिए जिलों के अस्पतालों को निर्देश दिया है. अस्पतालों में मुफ्त वितरण वाली दवाओं की आपूर्ति बिहार स्वास्थ्य सेवाएं आधारभूत संरचना निगम (बीएमएसआइसीएल) के माध्यम से होती है. अस्पतालों में दवाओं का क्या स्टॉक है, जीवन रक्षक दवाएं कितनी हैं यह सभी डैशबोर्ड पर हर दिन मॉनिटर की जायेगी. इसकी रिपोर्ट भी राज्य मुख्यालय स्तर पर तैयार की जायेगी.