बहरेपन की चपेट में पटना, पांच वर्षों में घट सकती है लोगों में सुनने की क्षमता, नागपुर की संस्था ने जतायी आशंका

नागपुर की नेशनल एन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) ने कहा है कि पटना में अगले पांच वर्षों में ध्वनि प्रदूषण रोकने को लेकर अभियान नहीं चलाया गया, तो ज्यादातर लोगों की सुनने की शक्ति पर असर दिखने लगेगा. शहर में ध्वनि प्रदूषण को लेकर स्थिति गंभीर है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 12, 2021 11:45 AM

पटना. नागपुर की नेशनल एन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) ने कहा है कि पटना में अगले पांच वर्षों में ध्वनि प्रदूषण रोकने को लेकर अभियान नहीं चलाया गया, तो ज्यादातर लोगों की सुनने की शक्ति पर असर दिखने लगेगा. शहर में ध्वनि प्रदूषण को लेकर स्थिति गंभीर है.

राजधानी में बोरिंग रोड, डाकबंगला, स्टेशन रोड, तारामंडल और राजाबाजार में ध्वनि प्रदूषण का सामान्य स्तर 55 डेसीबल रहना चाहिए, लेकिन तारामंडल, स्टेशन, राजाबाजार में यह स्तर 100 डेसीबल से अधिक है. वहीं, औद्योगिक क्षेत्रों में भी ध्वनि प्रदूषण अधिक है, लेकिन इसको लेकर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं होती है.

रेसिडेंसियल इलाकों में पाइप फैक्टरी सहित अन्य तरह की फैक्ट्रियां लगी हैं, जिसका सीधा असर लोगों की सुनने की शक्ति पर पड़ रहा है. वहीं, केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक आठ घंटे तक 85 डेसीबल ध्वनि लगातार सुनने से कान की बीमारी सहित कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं.

सॉफ्टवेयर पता लगायेगी ध्वनि व जल प्रदूषण की स्थिति

राज्य सरकार और नीरी ने एक करार किया है. इसके तहत राज्य में ध्वनि व जल प्रदूषण का पूर्वानुमान अब सॉफ्टवेयर के माध्यम मिलेगा. इसको लेकर नीरी ने एक डेटा बेस मॉडल तैयार किया है, जिसमें पहले के डेटा को अपडेट करने पर आने वाले दो-चार वर्षों का पूर्वानुमान तुरंत मिल जायेगा.

इसमें सॉफ्टवेयर यह भी बतायेगा कि कहां पर ध्वनि व पानी में प्रदूषण अधिक है और इसके बाद वहां पर काम करना बेहद आसान हो जायेगा. इस साॅफ्टवेयर को पटना व आसपास में लगाने के लिए अक्तूबर में फिर से प्रेजेंटेशन होगा, जिसके बाद इसे राज्य सरकार प्रदूषण पूर्वानुमान के मॉडल के रूप में धीरे-धीरे सभी जिलों में लगायेगी.

कृषि के क्षेत्र में भी होगा फायदा

साॅफ्टवेयर से मिट्टी की स्थिति को जानना भी आसान होगा. इसके लिए बस पिछले के डेटाबेस को अपडेट करना है, जिसके बाद यह मालूम होगा कि आगे के वर्षों में यहां खेती करना कितना लाभदायक होगा. अगर नहीं, तो इसके लिए क्या करना होगा और किस तरह से वहां की मिट्टी को उपजाऊ बनाया जायेगा.

यह है ध्वनि प्रदूषण की स्थिति

  • रोड रोलर 95-100 डेसीबल

  • ट्रक 152 डेसीबल

  • टैक्सी 105-115 डेसीबल

  • ऑटो 140-155 डेसीबल

  • बाइक 94-104

  • ट्रेन सिटी 110-122

  • स्कूटर 90-98

  • पेट्रोल कार 110 डेसीबल

  • डीजल कार 125 डेसीबल

आइजीआइएमएस के इएनटी विभागाध्यक्ष डॉ राकेश कुमार सिंह ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण से अनिद्रा, तनाव और चिड़चिड़ापन की समस्या लोगों में बढ़ रही है. साथ ही इससे लोगों में डिप्रेशन भी बढ़ रहा है.

जल-जीवन-हरियाली में भी होगा उपयोग

जब इस सॉफ्टवेयर के उपयोग से पटना व आसपास में डेटा बेस पूर्वानुमान लिया जाने लगेगा, तो उसके बाद इसे विभिन्न विभागों के सहयोग से जन-जीवन-हरियाली अभियान में लगाया जायेगा, ताकि अभियान में निश्चित जगहों पर अधिक काम हो सकें.

Posted by Ashish Jha

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