सहरसा में स्थापित किये जाने वाले एम्स को दरभंगा स्थानांतरित किये जाने के खिलाफ दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से 17 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश केवी चंद्रन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कोसी विकास संघर्ष मोर्चा की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.
सहरसा में एम्स के तर्ज पर अस्पताल बनाए जाने का प्रस्ताव था
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों में एम्स के स्तर के अस्पताल स्थापित करने की योजना तैयार की गयी. बिहार के सहरसा में एम्स के तर्ज पर अस्पताल बनाए जाने का प्रस्ताव था. इस अस्पताल के निर्माण के लिए पर्याप्त भूमि सहरसा में उपलब्ध भी है.
सहरसा में एम्स के लिए 217.74 एकड़ भूमि उपलब्ध
राजेश कुमार सिंह ने बताया कि वर्ष 2017 में सहरसा के जिलाधिकारी ने इस अस्पताल के लिए आवश्यक 217.74 एकड़ भूमि की उपलब्धता की जानकारी संबंधित विभाग को दे भी दी थी. इस क्षेत्र में एम्स के स्तर का कोई भी अस्पताल नहीं है. गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए इस क्षेत्र के लोगों को या तो पटना जाना पड़ता है या सिलिगुड़ी. इसमें न सिर्फ लोगों को आने- जाने में कठिनाई होती है, बल्कि आर्थिक बोझ भी पड़ता है.
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दरभंगा में एम्स अस्पताल के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध नहीं
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि सहरसा में एम्स अस्पताल के निर्माण के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध है, जबकि दरभंगा में एम्स अस्पताल के लिए पर्याप्त भूमि भी उपलब्ध नहीं है. एम्स अस्पताल के निर्माण के मानकों पर सहरसा ज्यादा खरा था, लेकिन राज्य सरकार ने 2020 में दरभंगा में एम्स अस्पताल स्थापित किये जाने की अनुशंसा कर दी थी. यह इस क्षेत्र लोगों के साथ अन्याय किया गया. सहरसा, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया जिले इस क्षेत्र में आते हैं. इस क्षेत्र की जनसंख्या के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यहां एम्स स्थापित किया जाना चाहिए.