बिहार: सुप्रीम कोर्ट आनंद मोहन की रिहाई मामले पर सुनवाई को तैयार, डीएम की पत्नी की याचिका पर दी ये तारीख..
बिहार के पूर्व सांसद बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की पत्नी टी.उमा देवी के द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया और इसकी सुनवाई की तारीख भी दे दी.
Anand Mohan News: बिहार के पूर्व सांसद बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई के विरोध में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की पत्नी (gopalganj dm g krishnaiah wife) टी.उमा देवी ने सुप्रीम कोर्ट में आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ जो याचिका दायर की है उसपर अब सुनवाई की तारीख सुप्रीम कोर्ट ने दे दी है. 8 मई को इस याचिका पर सुनवाई की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट में 8 मई को होगी सुनवाई
समाचार एजेंसी ANI के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट 8 मई को टी उमा देवी की याचिका पर सुनवाई करेगा. आनंद मोहन (Anand mohan singh) की रिहाई के विरोध में ये याचिका दायर की गयी है. बता दें कि बिहार सरकार ने हाल में ही कानून में संसोधन किया और उसका लाभ आनंद मोहन को भी मिला. आनंद मोहन इसी कानून संसोधन का लाभ लेकर रिहा हो गए. जिस आइएएस अधिकारी की हत्या में संलिप्तता का दोषी पाए जाने पर उन्हें जेल में रहना पड़ा था, उनकी पत्नी ने ही अब विरोध में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
Supreme Court agrees to list on May 8, IAS officer G Krishnaiah's wife Uma Krishnaiah's plea challenging the premature release of Bihar politician Anand Mohan from prison. pic.twitter.com/yQsuG4N50n
— ANI (@ANI) May 1, 2023
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कानून में संसोधन के बाद आ सके बाहर
बता दें कि गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी.कृष्णैया की हत्या के मामले में जेल में बंद आनंद मोहन जब सलाखों से बाहर आए तो ये रिहाई विवादित हो गयी. सरकार कानून में संसोधन करके विवादों में घिर गयी. आइएएस एसोसिएशन ने भी इसका विरोध किया था. जबकि कृष्णैया की पत्नी टी.उमा देवी सुप्रीम कोर्ट की शरण में चली गयीं. उन्होंने याचिका में मांग की है कि बिहार सरकार के उस आदेश को रद्द किया जाए जिसके माध्यम से उनके पति की हत्या के दोषी आनंद मोहन जेल से बाहर आए.
दिवंगत आइएएस की पत्नी ने कहा..
बता दें कि अपनी याचिका में दिवंगत आइएएस की पत्नी ने कहा है कि आजीवन कारावास का मतलब आखिरी सांस तक जेल में रहना है. अगर किसी हत्या के दोषी को मौत की सजा दी गयी तो उसे बाद में मिले आजीवन कारावास की सजा को सामान्य नहीं माना जाना चाहिए. वहीं उनकी वकील ने रिहाइ को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताया और कहा कि गलत तथ्यों के आधार पर रिहाई का फैसला लिया गया है.