18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट में जाति गणना पर रोक से संबंधित मामले की सुनवाई अधूरी, मिली अगली तारीख

याचिकाकर्ता के वकील ने जाति गणना के डेटा प्रकाश पर रोक लगाने की मांग की, जिसपर कोर्ट ने कहा कि बगैर सुने डेटा पर रोक नहीं लगा सकते हैं. इस मामले पर अगली सुनवाई 21अगस्त, 2023 को की जाएगी.

पटना/दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जाति गणना मामले पर सुनवाई अधूरी रही. नालंदा के रहने वाले याचिकाकर्ता ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इससे सम्बन्धित सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट एक साथ कर रही है. आज मामले की सुनवाई के दौरान बिहार सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि जाति गणना के सर्वे की प्रक्रिया पूरी हो गई है. याचिकाकर्ता के वकील ने जाति गणना के डेटा प्रकाश पर रोक लगाने की मांग की, जिसपर कोर्ट ने कहा कि बगैर सुने डेटा पर रोक नहीं लगा सकते हैं. इस मामले पर अगली सुनवाई 21अगस्त, 2023 को की जाएगी.

दोनों पक्षों ने रखी दलीलें

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में पिछली सुनवाई 7 अगस्त को हुई थी. कोर्ट ने प्रथम दृष्ट्या पटना हाईकोर्ट के फैसला पर रोक लगाने से मना कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जाति आधारित गणना का काम 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है. अगर यह 90 प्रतिशत भी हो जाएगा तो क्या फर्क पड़ेगा. एक अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने सीएम नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है. पटना हाईकोर्ट ने इसे सर्वे की तरह कराने की मंजूरी दी है. इसके बाद बिहार सरकार ने बचे हुए इलाकों में गणना का कार्य फिर से शुरू करवा दिया है.

Also Read: विपक्षी नेताओं से मिलने नहीं गये थे दिल्ली, सम्राट चौधरी के बयान पर नीतीश कुमार ने कही ये बात

कई बार मिल चुकी है तारीख

इससे पहले 14 अगस्त को सुनवाई टल गई थी. सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगली निर्धारित तिथि पर सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की जायेगी. नालंदा के रहने वाले याचिकाकर्ता ने पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया और जाति गणना पर रोक लगाने की मांग की. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिना दोनों पक्षों की बात सुने कोई आदेश नहीं दे सकते. इस मामले पर दाखिल की गई दूसरी याचिकाएं भी 18 अगस्त को लिस्टेड हैं. इसलिए सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई.

NGO ने दायर की हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका

शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड की गई वाद सूची के अनुसार, गैर सरकारी संगठन “एक सोच एक प्रयास की” ओर से हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका दायर की है. गैर सरकारी संगठन के अलावा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी. बिहार के नालंदा निवासी अखिलेश कुमार की ओर से दायर याचिका में दलील दी गई कि जाति गणना कराने के लिए राज्य सरकार की तरफ से जारी अधिसूचना संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है. संविधान के प्रावधानों के मुताबिक, केवल केंद्र सरकार को ही जनगणना कराने का अधिकार है.

पटना हाईकोर्ट ने एक अगस्त को बिहार सरकार को दी थी हरी झंडी

दरअसल, पटना हाईकोर्ट ने बिहार में जातीय जनगणना को लेकर उठ रहे सवालों पर सुनवाई की थी. चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सार्थी की खंडपीठ ने लगातार पांच दिनों तक (3 जुलाई से लेकर 7 जुलाई तक) याचिकाकर्ता और बिहार सरकार की दलीलें सुनीं थी. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुना. इसके बाद एक अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने सीएम नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी. पटना हाईकोर्ट ने इसे सर्वे की तरह कराने की मंजूरी दे थी. इसके बाद बिहार सरकार ने बचे हुए इलाकों में गणना का कार्य फिर से शुरू करवा दिया. बिहार सरकार के अनुसार, जाति आधारित गणना का कार्य पूरा हो गया है.

जातिगत जनगणना का इतिहास

साल 1931 तक भारत में जातिगत जनगणना होती थी. साल 1941 में जनगणना के समय जाति आधारित डेटा जुटाया ज़रूर गया था, लेकिन प्रकाशित नहीं किया गया. साल 1951 से 2011 तक की जनगणना में हर बार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का डेटा दिया गया, लेकिन ओबीसी और दूसरी जातियों का नहीं. इसी बीच साल 1990 में केंद्र की तत्कालीन विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार ने दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग, जिसे आमतौर पर मंडल आयोग के रूप में जाना जाता है, की एक सिफ़ारिश को लागू किया था. ये सिफारिश अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को सरकारी नौकरियों में सभी स्तर पर 27 प्रतिशत आरक्षण देने की थी. इस फ़ैसले ने भारत, खासकर उत्तर भारत की राजनीति को बदल कर रख दिया. जानकारों का मानना है कि भारत में ओबीसी आबादी कितनी प्रतिशत है, इसका कोई ठोस प्रमाण फ़िलहाल नहीं है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें