बिहार में जाति गणना और उनके आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को भी पटना हाइकोर्ट में सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. अब इस मामले पर अगली सुनवाई लगातार पांचवें दिन शुक्रवार को होगी. संभव है शुक्रवार को सुनवाई पूरी हो जाने के बाद हाइकोर्ट द्वारा इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया जाये. मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायाधीश पार्थ सारथी की खंडपीठ इस मामले को लेकर यूथ फॉर इक्वलिटी और कई अन्य द्वारा दायर लोकहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रही है. गुरुवार को भी महाधिवक्ता ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा.
महाधिवक्ता पीके शाही ने गुरुवार को कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार द्वारा राज्य में कराया जा रहा सर्वेक्षण और गणना सही है. राज्य सरकार को यह कराने का पूरा अधिकार है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य में रह रहे लोगों के संबंध में पूरी जानकारी प्राप्त करना और उनके आर्थिक व सामाजिक स्थिति की जानकारी प्राप्त कर उन्हें मदद पहुंचाना राज्य सरकार का कर्तव्य है. इसी के तहत यह कार्य किया जा रहा है .
महाधिवक्ता ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई मामलों में दिये गये फैसलों का जिक्र करते हुए हाइकोर्ट में कहा कि राज्य सरकार द्वारा कराया जा रहा सर्वेक्षण पूर्णतया: सही है . इसमें किसी भी तरह के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है . शाही ने कोर्ट को बताया कि वह शुक्रवार को अपना बहस पूरा कर लेंगे. कोर्ट ने कहा कि अब इस मामले में किसी को भी ज्यादा समय नहीं दिया जायेगा क्योंकि सभी पक्षों ने अपनी अपनी बातें कोर्ट के सामने रख दी हैं.
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गौरतलब है कि बिहार में जाति आधारित गणना की शुरुआत सात जनवरी से हुई थी. पहले फेज का काम पूरा होने के बाद दूसरे फेज का काम 15 अप्रैल से किया जा रहा था. जाति आधारित गणना का काम पूरा होने से पहले चार मई को पटना हाईकोर्ट ने अपने एक अंतरिम आदेश में जाति आधारित गणना पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया था. इसका करीब 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है.