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ठंड से कमजोर हुआ युवाओं का दिल, बेगूसराय में बढ़े हार्ट अटैक से मौत के मामले

भीषण ठंड के कारण जिले के सदर अस्पताल में आज कल बीपी और ह्रदय रोग के मरीज बढ़ गये हैं. सदर अस्पताल में मरीजों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है. रोजाना 500 से अधिक लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 16, 2023 2:24 PM

बेगूसराय. जिले में युवाओं का दिल कमजोर हो रहा है. युवा ठंड बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. भीषण ठंड के कारण जिले के सदर अस्पताल में आज कल बीपी और ह्रदय रोग के मरीज बढ़ गये हैं. सदर अस्पताल में मरीजों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है. रोजाना 500 से अधिक लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं. डॉक्टरों की मानें तो यंग एज ग्रुप यानि 40 से 50 उम्र के अधिकतर मरीज अस्पताल आ रहे हैं. जिन्हें हार्ट अटैक या हाइपरटेंसिव जैसी समस्या हैं. डॉक्टरों की सलाह है कि युवाओं को ठंड में सतर्क रहना चाहिए और ठंड से बचने के प्रयास करना चाहिए.

बेगूसराय में कोल्ड डे की स्थिति लगातार बनी हुई है

बेगूसराय में कोल्ड डे की स्थिति लगातार बनी हुई है. इस साल तापमान गिरकर 6 डिग्री पहुंच गया है. पिछले 24 साल में तीसरी बार ऐसी स्थिति बनी है. इससे पहले 1998 में तीन और 2013 में न्यूनतम तापमान 01 डिग्री, जबकि 2018 में न्यूनतम तापमान चार डिग्री पहुंच गया था. 2023 में अब तक न्यूनतम तापमान 4.7 डिग्री पहुंचा है. मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कड़ाके की ठंड के बीच दिन में धूप खिलेगी, लेकिन रात का पारा अभी और नीचे गिरेगा. जिससे ठंड की स्थिति बरकरार रहेगी.


मौत का मुख्य कारण ठंड बताया गया

बेगूसराय के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पंकज सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि पिछले 15-20 दिनों में अस्पतालों में भर्ती जिन मरीजों की मौत हुई है, उनमें से अधिकतर 40 से 50 उम्र के हैं. इनमें से कई लोगों को हार्ट अटैक हुआ था और कई हाइपरटेंसिव थे. सभी की हिस्ट्री देखी गयी तो मौत का मुख्य कारण ठंड बताया गया है. दरअसल हाइपरटेंसिव मरीज ठंड में दवा बंद कर देते हैं. यह मौत का मुख्य कारण बनता है.

सिमरिया घाट पर रोजाना हो रहा 20 से 25 शवों का संस्कार

इधर, जिले का मुख्य श्मसान स्थल सिमरिया घाट पर भी शवों की लंबी कतार बताती है कि मौत के आंकड़े चिंताजनक हैं. यहां अंतिम संस्कार की करनेवालों की संख्या बढ़ गयी है. स्थानीय लोगों की मानें तो सिमरिया घाट पर पहले 8-10 शव का अंतिम संस्कार होता था, लेकिन अभी रोजाना 20 से 25 शवों का संस्कार होता है. इनमें अधिकतर शव युवओं के होते हैं. उम्रदराज लोगों के शव बहुत कम संख्या में सिमरिया घाट पहुंच रहा है.

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