पर्यटन विभाग की सूची में औरंगाबाद जिले की 19 धरोहरें शामिल, विकास की योजना फाइलों में दबी

औरंगाबाद में कई ऐसे ऐतिहासिक और धार्मिक हैं जो अपना समृद्ध इतिहास बयां करते हैं. हालांकि, फिलहाल ये सभी उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं. कुछ महीनों पहले पर्यटन विभाग द्वारा जिला प्रशासन को एक सूची भेजी गयी थी, जिसमें औरंगाबाद के19 ऐतिहासिक धरोहरें शामिल हैं.

By Ashish Jha | September 27, 2023 3:43 PM

औरंगाबाद. जिले में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं. यहां मौजूद ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं. बशर्ते बेहतर योजना बनाकर समुचित विकास किया जाये. औरंगाबाद में कई ऐसे ऐतिहासिक और धार्मिक हैं जो अपना समृद्ध इतिहास बयां करते हैं. हालांकि, फिलहाल ये सभी उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं. कुछ महीनों पहले पर्यटन विभाग द्वारा जिला प्रशासन को एक सूची भेजी गयी थी, जिसमें औरंगाबाद के19 ऐतिहासिक धरोहरें शामिल हैं. सूची के साथ-साथ यह प्रतिवेदन मांगा गया था कि इन जगहों पर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कितनी संभावनाएं है. सूची में अंकित किसी स्थल का पहले विकास किया गया है, तो उसका अद्यतन प्रतिवेदन भी विभाग को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था.

फाइलों में दबकर रह गयी योजनाएं

पर्यटन विभाग की इस पहल के बाद यह उम्मीद जगी थी कि औरंगाबाद के इन 19 ऐतिहासिक धरोहरों को अब पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा, लेकिन समय के साथ यह योजना ठंडे बस्ते में चली गयी और फाइलों में दबकर रह गयी. उल्लेखनीय है कि पर्यटन विभाग द्वारा सूची उपलब्ध कराते हुए इन स्थलों के विकास के लिए वरीयता निर्धारित करने को कहा गया था, ताकि विभिन्न चरणों में इन ऐतिहासिक धरोहरों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सके.

Also Read: नयी टूरिज्म पॉलिसी जल्द, बोले तेजस्वी यादव- ऐसी हो ब्रांडिंग कि पर्यटन के अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमके बिहार

इन स्थलों को सूची में किया गया शामिल

पर्यटन विभाग की सूची में शामिल जिले के 19 ऐतिहासिक स्थलों में देव सूर्य मंदिर, मदनपुर उमंगेश्वरी मंदिर, कुटुंबा प्रखंड का सतबहिनी मंदिर, हसपुरा का अमझर शरीफ, नवीनगर गजनाधाम, दाउदनगर का दाउद खां का किला, गोह का देवकुंड धाम व रफीगंज का सिहुली दरगाह समेत अन्य शामिल हैं. जानकारी के अनुसार, इन स्थलों का सर्वे हो चुका है और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए काम करने की दिशा में पहल की गयी थी. लेकिन, अब तक विकास का काम नहीं हो सका है. इसके अलावा अंडर सर्वे ऐतिहासिक धरोहरों की सूची भी जिले में भेजी गयी है, जिसमें नवीनगर गुरुद्वारा, सोखा बाबा का मंदिर, कुटुंबा गढ़, अंबा का कल्पवृक्ष धाम, कुटुंबा महुआधाम, कुटुंबा सतबहिनी स्थान, चपरा पंचदेव धाम, सड़सा दोमुहान सूर्य मंदिर, ओबरा खरांटी स्थित शहीद जगतपति कुमार का स्मारक, मनोरा बुद्ध भगवान स्मृति व बारुण का पंचमुखी मंदिर शामिल है.

विभिन्न बिंदुओं के आधार पर मांगा गया था प्रतिवेदन

पर्यटन विभाग की ओर से सूची भेजते हुए जिला प्रशासन से विभिन्न बिंदुओं के आधार पर विवरण मांगा गया था. जिला मुख्यालय से स्थल की दूरी, चौहद्दी, भौगोलिक स्थिति, भूमि अधिग्रहण, भूमि का उपयोग, भूमि का प्रकार, पर्यटन की संभावना, पर्यटन की दृष्टिकोण से महत्व और आधारभूत संरचना समेत अन्य शामिल है. हालांकि, जिला प्रशासन द्वारा प्रतिवेदन तैयार कर विभाग को भेजे जाने की प्रक्रिया की गयी है. इसको लेकर जिला विकास पदाधिकारी सह प्रभारी पदाधिकारी ने आवश्यक कार्रवाई के लिए संबंधित अंचलों के सीओ को पत्र भेजा था. साथ ही प्राथमिकता के आधार पर इस कार्य को करने को कहा था.

Also Read: मिथिला की बेटी के श्राप से सूख गयी फल्गू, गया में गाय से ब्राहमण तक है शापित, जानें क्यों आया था सीता को क्रोध

सुविधाएं बढ़ने से आकर्षित होंगे पर्यटक

वैसे तो जिले के इन स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं किया गया है और न ही सुविधाएं बढ़ पायी है. इस कारण से ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखने के बावजूद ये धरोहरें पर्यटकों को आकर्षित नहीं कर पा रही है. जिले के बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों का कहना है कि यदि पर्यटन स्थलों का सर्वांगीण विकास कर दिया जाये और सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाये, तो निश्चित तौर पर पर्यटक आकर्षित होंगे.

दाउद खां किला का सौंदर्यीकरण अधूरा

दाउदनगर के पुराना शहर स्थित दाउद खां किले के सौंदर्यीकरण का कार्य पूर्व में प्रारंभ हुआ था, तो लोगों में उम्मीद जागी थी, लेकिन वर्तमान में सौंदर्यीकरण का कार्य अधूरा पड़ा है. लगाये गये ग्रिल टूटने लगे हैं और गेवियन भी ध्वस्त हो गये है. किला का कुछ भाग अतिक्रमित होने के कारण उधर की घेराबंदी भी नहीं करायी जा सकी है. स्थिति यह है कि किले का कुछ भाग आज भी अतिक्रमण की चपेट में है.

पर्यटन स्थल का दर्जा देने की मांग

जिले के इन प्रमुख स्थलों को पर्यटन स्थल का दर्जा देने की मांग हमेशा से उठती रही है. इसके बावजूद मांगों को नजरअंदाज कर दिया गया. गोह का देवकुंड धाम स्थित दुधेश्वरनाथ मंदिर की महिमा अपरंपार है. सावन में यहां दूसरे राज्यों से भी श्रद्धालु जलाभिषेक करने आते है. यहां शिवलिंग निलम पत्थर का स्थापित है. इसी तरह मदनपुर उमंगेश्वरी मंदिर पहाड़ पर स्थित है जो प्रकृति की गोद में स्थापित है. इस मंदिर के प्रति लोगों में गहरी आस्था है. देव सूर्य मंदिर की महिमा और ऐतिहासिकता किसी को बताने की जरूरत नहीं है.

मिट्टी के बर्तन में तैयार किया जाता है घी से प्रसाद

नवीनगर गजनाधाम की महिमा ऐसी है कि आज भी प्रसाद बनाने में धातु के बर्तन का उपयोग नहीं किया जाता. मिट्टी के बर्तन में घी से प्रसाद तैयार किया जाता है. दिलचस्प यह है कि मिट्टी के बर्तन में प्रसाद बनाने के दौरान घी कम नहीं पड़ता. इसी तरह औरंगाबाद-अंबा रोड में स्थित सतबहिनी मंदिर में सालोभर श्रद्धालु दर्शन व पूजन को आते है. यदि इन धरोहरों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाये, तो आसपास के इलाके की तस्वीर भी बदल जायेगी और पर्यटक भी पहुंचने लगेंगे.

Next Article

Exit mobile version