झंझारपुर एडीजे पर प्राथमिकी से हाइकोर्ट नाराज, पूछा- क्या कोर्ट से भी ऊपर हो गयी है पुलिस, रद्द करें FIR
मधुबनी सिविल कोर्ट के एडीजे अविनाश कुमार (प्रथम) के चैंबर में घुसकर एसएचओ और एसआइ द्वारा की गयी बदसलूकी के मामले में एडीजे के खिलाफ ही प्राथमिकी दर्ज करने पर हाइकोर्ट ने बेहद सख्त टिप्पणियां की हैं.
पटना. मधुबनी सिविल कोर्ट के एडीजे अविनाश कुमार (प्रथम) के चैंबर में घुसकर एसएचओ और एसआइ द्वारा की गयी बदसलूकी के मामले में एडीजे के खिलाफ ही प्राथमिकी दर्ज करने पर हाइकोर्ट ने बेहद सख्त टिप्पणियां की हैं. हाईकोर्ट ने कहा है कि बिहार के डीजीपी के साथ साथ संबंधित एसपी और आइओ को गुरुवार को कोर्ट में पेश किया जाए. नाराज कोर्ट ने कहा कि हम कल ही फैसला करेंगे कि उन्हें सलाखों के पीछे भेजा जाए या नहीं.
डीजीपी के साथ मधुबनी के एसपी तलब
न्यायमूर्ति राजन गुप्ता और न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने मधुबनी के जिला जज की ओर से हाइकोर्ट को भेजी गयी रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुए बुधवार को यह बातें कहीं. कोर्ट ने सरकारी वकील से पूछा कि किस प्रावधान के तहत न्यायिक पदाधिकारी को अपमानित करने वाले की तरफ से यह प्राथमिकी दर्ज कार्रवाई गयी है. जबकि, इसकी इजाजत सुप्रीम कोर्ट भी नहीं देता है. इस पर सरकारी वकील कोई जवाब नहीं दे पाये. कोर्ट ने डीजीपी के साथ मधुबनी के एसपी और इस केस के अनुसंधान अधिकारी को गुरुवार को ढाई बजे कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है.
इस मामले की मॉनिटरिंग कर रहा है हाइकोर्ट
मालूम हो कि हाइकोर्ट इस मामले की मॉनिटरिंग कर रहा है. कोर्ट में मौजूद वकील मृगांक मौली ने बेंच को बताया कि सुप्रीम कोर्ट समेत देश के कई हाइकोर्ट स्पष्ट तौर पर ये आदेश दे चुके हैं कि किसी न्यायिक पदाधिकारी के खिलाफ तभी कोई प्राथमिकी हो सकती है, जब उसकी मंजूरी हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस दें. चीफ जस्टिस से कोई मंजूरी नहीं ली गयी. बिहार पुलिस का पक्ष रख रहे वकील ने कहा कि एफआइआर के लिए चीफ जस्टिस को पत्र लिखा गया था.
क्या कहा कोर्ट ने
-
दोषियों को सलाखों के पीछे भेजा जाए या नहीं, इस पर गुरुवार को ही लेंगे फैसला
-
किस प्रावधान के तहत जज के खिलाफ दर्ज की गयी प्राथमिकी
-
क्या पुलिस सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट से भी ऊपर हो गयी है
-
पुलिस का रवैया बर्दाश्त नहीं किया जा सकता डीजीपी के साथ एसपी और केस के आइओ को कोर्ट में बुलाया
सलाखों के पीछे जाने को तैयार रहे
बेंच ने कहा कि सरकार को इस मामले में जो फैसला लेना है, वह गुरुवार की दोपहर तक ले ले. कल ढाई बजे सुनवाई होगी. हाइकोर्ट ने इस मामले के एमिकस क्यूरी यानी कोर्ट मित्र बनाये गये वरीय अधिवक्ता मृगांक मौली को भी सुनवाई के दौरान मौजूद रहने को कहा है.