पटना. पटना हाइकोर्ट ने राज्य के सरकारी स्कूलों में बड़े पैमाने पर फर्जी डिग्री के आधार पर कार्यरत नियोजित शिक्षकों पर कार्रवाई करने को लेकर दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई की.
हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह इस मामले में अब तक की गयी कर्रवाई का पूरा ब्योरा दो सप्ताह में कोर्ट में पेश करे.
चीफ जस्टिस संजय करोल की अध्यक्षता वाले खंडपीठ ने राज्य सरकार को अंतिम मौका देते हुए यह निर्देश दिया.
याचिकाकर्ता रंजीत पंडित की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य के स्कूलों में बड़े पैमाने पर फर्जी डिग्री के आधार पर कई लोग नौकरी कर रहे हैं.
ऐसे शिक्षकों की संख्या लाख में है. इससे पहले की सुनवाई में निगरानी विभाग की ओर से कोर्ट में कहा गया था कि ऐसे सरकारी शिक्षकों के मामले की जांच में बाधाएं आ रही हैं.
अब तक उन शिक्षकों के फोल्डर भी पूरील तरह जांच एजेंसी को उपलब्ध नहीं कराये गये हैं . इस मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जायेगी.
3,53,017 शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच होनी थी. जांच के दायरे में सर्वाधिक 3,11,251 प्राथमिक शिक्षक थे. जांच के दायरे में 2082 लाइब्रेरियन , 27,897 माध्यमिक शिक्षक और 11,787 उच्च माध्यमिक शिक्षक हैं.
इनमें से अब तक निगरानी ब्यूरो को 2, 49,100 शिक्षकों के ही फोल्डर मिले हैं. निगरानी को अभी तक कुल 7,23, 078 सर्टिफिकेट मिले हैं, जिनमें अब तक सिर्फ 4,05,845 शैक्षणिक दस्तावेजों का सत्यापन हुआ है.
जांच के बाद अब तक कुल 1572 शिक्षकों और नियोजन इकाइयों के सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है.
इतने लोग 489 नियोजन इकाइयों के केसों से जुड़े हैं. अब तक जांच के बाद पता चला है कि कुल 1275 दस्तावेज फर्जी पाये गये. इनमें सर्वाधिक1071 फोल्डर प्राथमिक शिक्षकों के थे.
जानकारी के मुताबिक 2006 से 2015 के बीच नियुक्त तीन लाख 53 हजार 017 नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच पांच साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी है.
ऐसे शिक्षक हैं, जिन्होंने जांच के लिए दस्तावेज निगरानी व शिक्षा विभाग को नहीं सौंपे हैं, उनकी संख्या 53 हजार से अधिक है. शिक्षा विभाग उन्हें नोटिस जारी करने जा रहा है.
दरअसल, शिक्षा विभाग ने माना है कि दस्तावेज उपलब्ध न कराने की जवाबदेही सीधे शिक्षक की है. अगर वे दस्तावेज नहीं जमा करते हैं, तो उन पर अब सीधे कार्रवाई होगी.
Posted by Ashish Jha