हाइकोर्ट का प्रशासन को सख्त निर्देश, 24 घंटे में हटाएं हाजीपुर-मुजफ्फरपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से अतिक्रमण

पटना हाइकोर्ट ने हाजीपुर-मुजफ्फरपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के हाजीपुर समेत अन्य जगहों पर स्थित सभी अवैध कब्जों को 24 घंटे के भीतर अतिक्रमण मुक्त कराने का निर्देश संबंधित जिलों के एसपी और डीएम को दिया है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 13, 2021 11:31 AM

पटना. पटना हाइकोर्ट ने हाजीपुर-मुजफ्फरपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के हाजीपुर समेत अन्य जगहों पर स्थित सभी अवैध कब्जों को 24 घंटे के भीतर अतिक्रमण मुक्त कराने का निर्देश संबंधित जिलों के एसपी और डीएम को दिया है. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने यह निर्देश राज्य के राष्ट्रीय राजमार्गों से संबंधित कई मामलों के संबंध में गुरुवार को सुनवाई करते हुए दिया.

खंडपीठ ने हाजीपुर-मुजफ्फरपुर राजमार्ग के मामले पर सुनवाई करते हुए पिछली सुनवाई के हाजीपुर स्थित रामाशीष चौक पर से सभी अवैध कब्जे खाली कराये जाने का निर्देश दिया था. परंतु वहां के जिलाधिकारी एवं एसपी द्वारा न तो बस स्टैंड और न ही टेंपो स्टैंड को खाली कराया गया.

इतना ही नहीं इस जगह पर अवैध तरीके से बनाये गये पुलिस थाना एवं पुलिस भवन भी खाली नहीं कराया गया है. इस जानकारी के बाद खंडपीठ ने यह आदेश दिया है कि 24 घंटे के अंदर इन सभी अवैध कब्जों को अतिक्रमण मुक्त कराया जाये. साथ ही जमीन को खाली कर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के हवाले कर दिया जाये, ताकि जल्द सड़क का निर्माण शुरू किया जा सके.

अधिगृहीत जमीन का मुआवजा जल्द भुगतान करें : कोर्ट ने मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि वह अधिगृहीत की गयी जमीन का मुआवजा जल्द से जल्द जमीन मालिकों को भुगतान कर जमीन को अपने कब्जे में लेकर उसे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को सौंप दे, ताकि मुजफ्फरपुर बाइपास का निर्माण जल्द से जल्द पूरा हो सके.

खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि 10 वर्षों पहले इन राजमार्गों के निर्माण की शुरुआत की गयी थी, परंतु जमीनों के अधिग्रहण समय से नहीं किये जाने के कारण अभी तक सड़कें पूरी नहीं की जा सकी हैं. इससे एक तरफ जनता को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

वहीं दूसरी तरफ सड़क निर्माण के खर्च में काफ़ी वृद्धि हो गयी है. खंडपीठ ने कहा कि इन राजमार्ग को बनाने में जो देरी हो रही है उसकी समीक्षा करने का कोई शौक कोर्ट को नहीं है. परंतु बिना न्यायालय के हस्तक्षेप के काम आगे नहीं बढ़ रहा है, इसलिए हमें लाचार होकर हस्तक्षेप करना पड़ रहा है.

राज्य सरकार को खोलना चाहिए विशेष प्रकोष्ठ

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण के लिए केंद्र सरकार ही सारी राशि का भुगतान करती है, जिसमें जमीन अधग्रिहण से लेकर सड़क निर्माण की राशि भी समाहित होती है.

राज्य सरकार को जमीन अधिग्रहण करके राष्ट्रीय राजमार्ग को देना होता है, परंतु उसमें भी अत्यधिक देरी की जाती है जिसके कारण राजमार्गों के निर्माण में देर होती है. राज्य सरकार को इसके लिए एक विशेष प्रकोष्ठ खोलना चाहिए जो कि इस कार्य की समीक्षा समय- समय पर करके समस्याओं का निदान कर सके, इससे न्यायालय का समय भी बचेगा और काम भी जल्द पूरा होगा.

Posted by Ashish Jha

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