मनाली या शिमला से कम नहीं है बिहार का यह हिल स्टेशन, गर्मियों में भी दे देता सर्दियों का एहसास
ये जो मेरा बिहार है, लाजबाव है. बिहार के लोगों में यह अभिमान यूं ही नहीं पैदा हुआ है. बिहार है ही लाजबाव. बिहार को आप जितने करीब से देखेंगे, वो उतना हसीन दिखेगा. बेशक बिहार के जंगल और पहाड़ के अधिकतर हिस्से झारखंड में चले गये, लेकिन ऐसा नहीं है कि बिहार में कोई हिल स्टेशन नहीं है.
पटना. ये जो मेरा बिहार है, लाजबाव है. बिहार के लोगों में यह अभिमान यूं ही नहीं पैदा हुआ है. बिहार है ही लाजबाव. बिहार को आप जितने करीब से देखेंगे, वो उतना हसीन दिखेगा. बेशक बिहार के जंगल और पहाड़ के अधिकतर हिस्से झारखंड में चले गये, लेकिन ऐसा नहीं है कि बिहार में कोई हिल स्टेशन नहीं है. बिहार में भी ऐसे हिल स्टेशन हैं, जो लोगों को गर्मी में भी सर्दियों का एहसास करा देते हैं. एक नहीं 5-6 ऐसे पहाड़ी जगह हैं, जो पर्यटकों को लुभा रहे हैं. जैसे जैसे देश-विदेश के लोग इन जगहों के संबंध में जान रहे हैं, यहां आ रहे हैं.
पर्यटन को लेकर हैं अपार संभावनाएं
बिहार के गया जिले का छोटा सा पहाड़ी इलाका रामशिला में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. यहां आनेवाले पर्यटकों का भी कहना है कि जब तक वो यहां नहीं आये थे, उन्हें इस जगह के संबंध में एहसास ही नहीं था. ये हिल स्टेशन तो किसी मनाली या शिमला से कम नहीं है. वो कहते हैं कि अब वो लोगों को बतायेंगे कि अगर आप ऐसी चिलचिलाती गर्मी में कोई पहाड़ी जगह जाना और देखना चाहते हैं, तो चले आइये इस अनोखे स्टेशन पर. पर्यटन से जुड़े लोगों का भी कहना है कि बिहार के बारे में अभी भी देश और दुनिया में लोगों को बहुत कम जानकारी है. बिहार के पर्यटन स्थालों का विकास और प्रचार-प्रसार की अभी और जरुरत है.
रामशिला पहाड़ी का है सांस्कृतिक महत्व
गया का रामशिला पहाड़ी न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के कारण लोगों को सम्मोहित कर लेता है, बल्कि यहां का ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व भी पर्यटकों को रोमांचित करती है. गया के इतिहास और पर्यटन पर काम करनेवाले उज्जवल कुमार कहते हैं कि इन पहाड़ी जगहों का अपना एक अलग इतिहास है. इन्हीं छह पहाड़ियों में रामशिला पहाड़ी का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है. रामशिला पहाड़ी विष्णु पद मंदिर से करीब 8 किमी उत्तर में फल्गु नदी के किनारे मौजूद है. ऐसा माना जाता है कि इसका नाम भगवान श्रीराम से जुड़ा हुआ है. ऐसा माना जाता है कि वन प्रवास के दौरान भगवान राम ने राम कुंड सरोवर में स्नान करने के बाद इसी जगह पर पिता दशरथ का पिंड दान किया था.
बिखरी पड़ी हैं प्राचीन काल की मूर्तियां
इन पहाड़ियों पर कई पत्थर की मूर्तियां आज भी बिखरी पड़ी हैं. पहाड़ी की चोटी पर स्थित मंदिर जिसे रामेश्वर या पातालेश्वर मंदिर कहा जाता है, मूल रूप से 1014 ईस्वी में बनाया गया था, लेकिन बाद में इस मंदिर का कई बार मरम्मत हुआ है. मंदिर के सामने 1811 ई. में कलकत्ता के कृष्ण बसु द्वारा बनवाया गया एक मण्डप है. वहां लोग अपने पूर्वजों के लिए ‘पिंडदान’ करते हैं. पहाड़ी पर आपको एक मंदिर भी मिलेगा. उसमें राम, सीता और हनुमान की प्रतिमा स्थापित है.
रामशीला पहाड़ी कैसे पहुंचे
-
फ्लाइट : गया का अपना हवाई अड्डा गया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. भारत के कई शहरों (दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता) से फ्लाइट उड़ती है.
-
ट्रेन : गया रेलवे के माध्यम से भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है. गया का अपना रेलवे स्टेशन है, जिसे गया रेलवे स्टेशन कहा जाता है. राजधानी, शताब्दी और संपर्क क्रांति जैसी ट्रेनें दिल्ली, मुंबई और अन्य शहरों से सीधे चलती हैं.
-
सड़क : गया राष्ट्रीय राजमार्ग-82 से जुड़ा हुआ है. ये सड़क मार्ग से भी अच्छे से जुड़ा हुआ है.