पटना. नालंदा विश्वविद्यालय में नये साल से हिंदू स्टडीज (सनातन) प्रोग्राम की शुरुआत होने जा रही है. इसके लिए एमए हिंदू स्टडीज (सनातन) के प्रथम बैच में एडमिशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. राजगीर के विश्वविद्यालय परिसर में 17 जनवरी 2022 से इस कोर्स की विधिवत पढ़ाई शुरू हो जायेगी. ये दो साल का फुल-टाइम प्रोग्राम है और इसकी पढ़ाई ऑफलाइन तथा ऑनलाइन दोनों माध्यमों से की जा सकेगी.
एडमिशन के लिए इच्छुक छात्र नामांकन प्रक्रिया की पूरी जानकारी नालंदा यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं. नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो सुनैना सिंह ने कहा कि हम भारतीय बौद्धिक परंपराओं के लिए संसाधन केंद्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं. नालंदा विद्वतापूर्ण परंपरा के लिए जाना जाता था. वर्तमान नालंदा भी उत्कृष्टता के लिए एक केंद्र बनाने की ओर अग्रसर है.
नि:शुल्क कर सकते हैं भारतीय संविधान का कोर्स
पटना. सीबीएसइ सभी स्टूडेंट्स को भारतीय संविधान के बारे में जानकारी देगा. कोर्स में अधिक-से-अधिक स्टूडेंट्स को शामिल हों. इसके लिए सभी स्कूलों को पत्र लिख कर लोगों को जागरूक करने को कहा है. सभी स्टूडेंट्स भारतीय संविधान के बारे में नि:शुल्क ऑनलाइन कोर्स कर सकते हैं. सीबीएसइ यह कोर्स नि:शुल्क करायेगा. इस कोर्स को मिनिस्ट्री ऑफ लॉ एंड जस्टिस द्वारा 25 नवंबर को लांच किया गया था.
कोर्स का मूल मकसद भारत के संविधान के बारे में सभी लोगों को जागरूक करना और सही जानकारी देना है. legalaffairs.nalsar.ac.in पर जाकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. रजिस्ट्रेशन के बाद 15 कॉन्सेप्ट वीडियो मिलेंगे. इनमें फंडामेंटल पॉलिसी और संविधान से जुड़ी विभिन्न जानकारियां दी जायेंगी.
रामायण और महाभारत के साथ नाट्यशास्त्र भी पढ़ाया जायेगा
‘हिंदू स्टडीज (सनातन)’ स्नातकोत्तर प्रोग्राम के माध्यम से छात्रों को भारतीय संस्कृति के शाश्वत सिद्धांत और जीवन मूल्य के साथ विभिन्न प्रकार की ज्ञान परंपराओं और प्रथाओं के समग्र अध्ययन और अनुसंधान का अवसर प्राप्त होगा. दो साल के इस प्रोग्राम का उद्देश्य नयी पीढ़ी को प्राचीन परंपरा के प्राचीन ज्ञान स्रोतों के साथ-साथ वर्तमान संदर्भ में उनके महत्वों से भी अवगत कराना है.
इस प्रोग्राम के पाठ्यक्रम को खास तौर से भारत की समृद्ध अध्यात्मिक और बौद्धिक विरासत को समझने के लिए तैयार किया गया है. इस कोर्स के पाठ्यक्रम में वेद, उपनिषद, इतिहास-पुराण रामायण और महाभारत के साथ-साथ नाट्यशास्त्र और अर्थशास्त्र को भी जगह दी गयी है. इसके पाठ्यक्रम के माध्यम से नयी पीढ़ी, सनातन परंपराओं को विस्तार पूर्वक जान पायेगी.