मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन का यह ऐतिहासिक तस्वीर बना चर्चा का विषय, भाप इंजन के चलते कई घरों में जलता था चूल्हा

चेन्नई रेलवे के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर ने 1990 में मुजफ्फरपुर स्टेशन पर खड़ी WP-7193 इंजन की तस्वीर को ट्विटर पर शेयर किया. जो लोगों का दिल जीत गयी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2023 1:50 PM
an image

Muzaffarpur Railway station (ललितांशु): मुजफ्फरपुर स्टेशन की 90 के दशक की तस्वीर में भाप इंजन खड़ी है, चालक दल आपस में बात कर रहे है और एक महिला पास में ही लाइन के किनारे बैठी है. गुरुवार को चेन्नई रेलवे के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर ( सीपीएम ) अनंत रुपणागुडी ने मुजफ्फरपुर की पुरानी यादों से जुड़ी एक तस्वीर को ट्विटर पर शेयर किया. जो तस्वीर कई लोगों का दिल जीतने के साथ चर्चा का विषय बन गयी.

1990 की एक मार्मिक तस्वीर- सीपीएम

सोशल मीडिया पर तस्वीर को साझा करते हुये सीपीएम ने लिखा कि मुजफ्फरपुर स्टेशन की 1990 की एक मार्मिक तस्वीर है. जिसमें बताया गया है कि कैसे लोग अपनी आजीविका के लिये भाप के इंजन पर निर्भर थे. WP-7193 के चालक दल चर्चा में व्यस्त है. वहीं पास में एक गरीब महिला लोकोमोटिव के बाहर निकलने पर उसके नीचे से सींडर ( राख ) इकठ्ठा करने के लिये प्रतीक्षा कर रही है. बता दें कि तस्वीर में महिला के बगल में एक बच्ची भी बैठी है.

चालक दल क्या कर रहें होंगे बात, दोस्तों ने किया रि-ट्विट

बता दें कि रेलवे के सीपीएम के ट्विटर पर 8,966 फॉलोअर्स है. जिसमें उनके रिटायर रेलवे के मित्र व अन्य लोग अपनी-अपनी यादों को साझा करने के साथ कई पुरानी व्यवस्था को लेकर कई तरह के सवाल भी किये. उनके मित्र श्रीनिवास ने लिखा कि मेरा अनुमान है कि लोको के लुब्रिकेशन और टेंडर रिफिलिंग कार्य के लिये जाने से पहले साइनिंग आउट फायरमैन शंटिंग क्रू को आगे की तैयारी के लिये अपना सुझाव दे रहा है.

लोको चालक से गर्म उबलता पानी भी मांगते थे लोग

एक ट्विटर फॉलोअर्स ने लिखा कि घर के चूल्हे में सिंडर का इस्तेमाल होता था, सिंडर ज्वलनशील होता है. वहीं उस जमाने में सिंडर के अलवा लोग लोको से गर्म उबलता हुआ पानी भी मांगते थे. कई बार उन्होंने लोगों को पानी देकर उपकृत करते देखा है. एक मित्र ने लिखा कि सिंडर एक जला हुआ कोयला है, जो आगे जलाने के लिये सक्षम है. बेचारी महिला इसे इकठ्ठा कर घर में खाना बनाने में इसका इस्तेमाल की होगी. एक ने सवाल किया कि यह इंजन तो खतरनाक होता था, क्या उस समय लोको के पायलटों के लिये कोई विशेष स्वास्थ्य बीमा योजना होती थी. सीपीएम ने बताया कि कुछ भत्ता जरुर मिलता था.

Exit mobile version