गंगा में मगरमच्छ के हमले का बिहार में रहा है पौराणिक इतिहास, जानें गजराज की रक्षा करने कहां आये थे भगवान
हाल के दिनों में गंगा में मगरमच्छ की मौजूदगी को लेकर कई घटनाएं सामने आयी हैं. सुल्तानगंज और भागलपुर के इलाके में गंगा में मगरमच्छ ने कई लोगों पर हमला किया है. वैसे इस हमले में अब तक किसी की जान नहीं गयी है, लेकिन एक युवक का पांव मगरमच्छा पूरी तरह काट खाया है.
पटना. हाल के दिनों में गंगा में मगरमच्छ की मौजूदगी को लेकर कई घटनाएं सामने आयी हैं. सुल्तानगंज और भागलपुर के इलाके में गंगा में मगरमच्छ ने कई लोगों पर हमला किया है. वैसे इस हमले में अब तक किसी की जान नहीं गयी है, लेकिन एक युवक का पांव मगरमच्छा पूरी तरह काट खाया है. वैसे गंगा में मगरमच्छ की मौजूदगी और उसके हमले की घटनाएं नयी नहीं है. गंगा में मगरमच्छ की मौजूदगी का बिहार में पौराणिक इतिहास रहा है.
सोनपुर में हुआ था हाथी और मगरमच्छ का युद्ध
एक पौराणिक कथा के अनुसार पटना से उत्तर सोनपुर इलाके में एक हाथी नदी में पानी पीने गया और मगरमच्छ ने उसे पकड़ लिया. वह उसे खाना चाहता था. हाथी-मगर में बहुत भयानक युद्ध हुआ, लेकिन हाथी एक समय के बाद कमजोर पड़ने लगा. तब उसने द्वारिकाधीश को पुकारा. पौराणिक मान्यता है कि श्रीहरि ने यहीं पर गज के प्राणों की रक्षा करते हुए ग्राह का उद्धार किया था. सोनपुर में गज और ग्राह के युद्ध स्थल पर ही हरि (विष्णु) और हर (शिव) का हरिहरनाथ मंदिर है.
सावन और कार्तिक दोनों में ही जुटती है भीड़
गंगा और गंडक नदी के संगम पर स्थित यह प्राचीन मंदिर सभी हिन्दूओं के परम आस्था का केंद्र है. सावन और कार्तिक में यहां विशेष तौर पर हरिहर की पूजा की जाती है. यह प्राचीन शिवाला बाबा हरिहर नाथ के नाम से जाना जाता है. इसकी विशेषता यह है कि इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ अपने आराध्य और अपने प्रिय भगवान विष्णु के साथ विराजित हैं. गंगा-गंडक के संगम स्थल यानी हाजीपुर सोनपुर में स्थित हरिहर क्षेत्र में गंडक नदी के किनारे लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करते हैं. सावन के दिनों में यहां विश्व प्रसिद्ध मेले के लगने का इतिहास रहा है.
राजा मान सिंह ने कराया मंदिर का निर्माण
किवदंती यह भी है कि मंदिर का निर्माण श्रीराम ने सीता स्वयंवर में जाते समय किया था. वैसे कुछ इतिहासकारों का कहना है कि वर्तमान मंदिर का निर्माण राजा मान सिंह ने करवाया. वर्तमान मंदिर की मरम्मत राजा राम नारायण ने करवायी थी. मंदिर के अंदर गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित है. इसके साथ ही भगवान विष्णु की प्रतिमा भी है. पूरे देश में इस तरह का कोई दूसरा मंदिर नहीं है जहां हरि और हर एक साथ स्थापित हों. यह स्थल शैव और वैष्णव मत के बीच एकेश्वरवाद का प्रतीक भी है.