एससी-एसटी एक्ट के बढ़ते लंबित मामले पर गृह विभाग सख्त, जघन्य मामलों में अब चलेगा स्पीडी ट्रायल

गृह विभाग ने एससी, एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में तेजी के निर्देश दिये हैं. हाल में ही अभियोजन निदेशालय के अभियोजन निदेशक की अध्यक्षता में विभिन्न जिलों के विशेष लोक अभियोजकों के साथ आयोजित समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिया गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 11, 2021 11:40 AM

पटना. गृह विभाग ने एससी, एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में तेजी के निर्देश दिये हैं. हाल में ही अभियोजन निदेशालय के अभियोजन निदेशक की अध्यक्षता में विभिन्न जिलों के विशेष लोक अभियोजकों के साथ आयोजित समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिया गया है.

निर्देश दिया गया है कि एससी, एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में जघन्य अपराध को लेकर सजा दिलाने की प्रक्रिया तेज करनी होगी. विशेष लोक अभियोजकों को जघन्य मामलों में सजा जल्द पूरी कराने के लिए डीएम और एसपी से स्पीडी ट्रायल का अनुरोध करना होगा.

इसके अलावा कहा गया है कि जिन मामलों में सुलह के आधार पर रिहाई हुई है. जिलों से इसकी विस्तृत जांच रिपोर्ट गृह विभाग को दी जाये. अगर, सुलह या रिहाई के बाद दोबारा अपील का मामला बनता है तो विशेष लोक अभियोजन ऐसे मामलों में दोबारा अपील करें.

सुलह वाले मामलों में विशेष निगरानी रखने के निर्देश

एससी, एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में जिन जिलों में सजा की संख्या न्यूनतम है और वहां सुलह की संख्या अधिक है, वैसे जिलों के विशेष लोक अभियोजकों को विस्तृत प्रतिवेदन देना होगा. प्रतिवेदन में पीड़ित द्वारा सुलह आवेदन की तारीख, इसके अलावा सुलह से पहले मुआवजा दिया गया या बाद में इसकी जानकारी देनी होगी.

इसके अलावा निर्देश दिया गया है कि सुलह मामले में विशेष निगरानी रखी जाये, इस पर ध्यान रखा जाये कि पीड़ित किसी दबाव में होकर तो सुलह नहीं कर रहा है. यह भी देखना होगा कि सुलह के मामलों में नियमों का पालन किया जा रहा है कि इस पर भी ध्यान देना होगा.

खराब प्रदर्शन करने वालों पर कार्रवाई

समीक्षा बैठक में अभियोजन के निदेशक ने कहा कि विशेष लोक अभियोजकों को प्रत्येक माह के 10 तारीख तक नियमित रूप से एससी, एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों का मासिक कार्य प्रतिवेदन देना होगा. गृह सचिव के निर्देश के आधार पर जिन जिलों का प्रदर्शन खराब है. उनके विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा विधि विभाग को की जायेगी.

इसके अलावा भागलपुर, कटिहार व मोतिहारी में अब तक सजा वालों मामलों की रिपोर्ट मांगी गयी. गौरतलब है कि एससी, एसटी एक्ट के तहत बिहार में राष्ट्रीय औसत से कम सजा हुई है और सुलह के मामले अधिक हैं.

Posted by Ashish Jha

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