सुबोध कुमार नंदन . गंगा किनारे बसे पटना और बाढ़ के रिश्ते की पड़ताल करने को इतिहास में जाएं, तो कई रोचक किस्से मिलेंगे. बाढ़ और शत्रुओं से बचाव के लिए मगध नरेश बिंबिसार के पुत्र अजातशत्रु ने गंगा और सोन के संगम पर ईसा पूर्व 480 में अपने मंत्री सुनीथ और वर्षकार को भेजकर किला बनवाया था.
अजातशत्रु के पुत्र उदयन ने पाटलिपुत्र नगर का निर्माण करके उसे अपनी राजधानी बनाया, लेकिन ईस्वी सन 750 में गंगा और सोन की भीषण बाढ़ के कारण प्राचीन पाटलिपुत्र का अधिकांश भाग नष्ट हो गया था. गंगा की सहायक नदी सोन और पुनपुन के कारण ऐसा हुआ था.
इतिहासकार और पुराविद अरविंद महाजन ने बताया कि अकबर के शासनकाल के दौरान पटना में वर्ष 1576 में भयंकर बाढ़ आयी थी. बिहार का गर्वनर मुनीम खां था. बाढ़ से सुरक्षा के लिए उसने अकबर से घोड़े और सेना की मांग की थी.
पटना डिस्ट्रिक्ट गजेटियर के अनुसार वर्ष 1843, 1861, 1870, 1879, 1897 और 1901 में भी भारी बारिश के कारण पटना डूब गया था. गजेटियर में 1897 और 1901 की बाढ़ का खास तौर पर जिक्र किया गया है.
1901 की बाढ़ भारी बारिश और गंगा में बढ़े जल स्तर के चलते आयी थी. वर्ष 1967 और 1975 की बाढ़ की खूब चर्चा होती है. वर्ष 1967 में पुनपुन नदी से कंकड़बाग तथा रेलवे लाइन के दक्षिण के पूरे क्षेत्र में बाढ़ आयी. पुनपुन पर बांध बना और इस ओर से बाढ़ का खतरा कम हुआ.
1975 में आयी बाढ़ को जिसने देखा है वह इसकी विभीषिका से अवगत है. गांधी मैदान में लगभग छह फुट पानी लग गया था और वह पूरी तरह डूब गया था. सचिवालय तथा सरकारी भवन के निचले मंजिल पानी में डूब गये थे.
अरविंद महाजन ने बताया कि जैन ग्रंथ तीत्योगलि पण्णइ के अनुसार 570 से 575 के मध्य भाद्रपद में पाटलिपुत्र में आयी विनाशकारी बाढ़ की जानकारी मिलती है. 17 दिन और 17 रात लगातार बारिश होने के कारण गंगा का जल स्तर सोन के बराबर हो गया. सोन के पानी से पाटलिपुत्र शहर डूब गया था.
Posted by Ashish Jha