सासाराम. कोरोना एक बार फिर हमलोगों के बीच लौट रहा है. इसको लेकर केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को अलर्ट कर दिया है, जिसके बाद राज्य सरकार ने जिला अस्पतालों को अपने यहां कोरोना से लड़ने के लिए विधि व्यवस्था दुरुस्त करने को कहा है. सासाराम सदर अस्पताल में व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जोर-शोर से तैयारी चल रही है. कोरोना मरीजों के लिए डेडिकेटेड बेड सहित अन्य उपकरणों को व्यवस्थित किया जा रहा है. इन तैयारियों के बीच एक बात तो स्पष्ट है कि सदर अस्पताल में कोरोना के गंभीर लक्षण वाले मरीजों का इलाज संभव नहीं है, क्योंकि पूरे अस्पताल में एक भी आइसीयू बेड नहीं है. पिछले लक्षणों को देखें, तो कोई लोगों को आइसीयू बेड की जरूरत पड़ी थी. कितने की मौत आइसीयू में जगह नहीं मिलने से भी हुई थी. ऐसे में केवल कोविड डेडिकेटेड बेड बनाने से कोरोना से लड़ना मुश्किल होगा.
कोरोना से लड़ने के लिए जहां एक ओर स्वास्थ्य सुविधा बेहतर की जा रही थी. वहीं दूसरी तरफ वैक्सीनेशन किया जा रहा था. लेकिन, पूरे जिले में वैक्सीनेशन बंद है, क्योंकि जिले में वैक्सीन ही नहीं है. जिले में कोरोना के बूस्टर डोज के इंतजार में फिलहाल 15,44,510 लोग हैं. इनमें प्रथम डोज ले चुके लोग दूसरे डोज का इंतजार कर रहे हैं. वहीं, दूसरा डोज लेने वाले बूस्टर डोज का इंतजार कर रहे हैं. इस बीच, देश में कोरोना के मामले बढ़ने के साथ ही एक बार फिर से लोग टीकाकरण की स्थिति देखने लगे हैं.
सिविल सर्जन डॉ केएन तिवारी ने शुक्रवार को सदर अस्पताल का निरीक्षण किया. इस दौरान अस्पताल के कार्यकारी अधीक्षक डॉ श्रीभगवान सिंह व अन्य उपस्थित थे. अस्पताल के निरीक्षण के बाद सीएस ने कहा कि कोरोना को लेकर व्यवस्थाओं को देखा जा रहा है. फिलहाल सदर अस्पताल में 15 बेड कोरोना के लिए सुरक्षित किये गये हैं. कोरोना जांच के दायरे को बढ़ाने का प्रयास हो रहा है. फिलहाल एक हजार से कम जांच प्रतिदिन हो रही है. अब इसे बढ़ा कर दो हजार किया जायेगा. वैक्सीन के सवाल पर उन्होंने बताया कि फिलहाल जिले में वैक्सीनेशन नहीं हो रहा है, क्योंकि वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. जैसे ही वैक्सीन आती है. उसे भी शुरू कर दिया जायेगा.
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दो करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर सदर अस्पताल में पीएम केयर फंड से एक हजार लीटर क्षमता वाला ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया है. प्लांट की स्थिति बेहतर है. प्रतिदिन इसे चलाया जाता है और इंजीनियरों की टीम मॉनीटरिंग करती है. लेकिन, इस प्लांट में तैयार हुए ऑक्सीजन को मरीजों के बिस्तर तक पहुंचाने की कोई व्यवस्था अब तक नहीं हुई है. यह प्लांट महज सात बेडों तक ऑक्सीजन पहुंचाता है. ट्रॉमा सेंटर में लगे बेडों तक ऑक्सीजन की सप्लाइ इससे होती है. वहीं अन्य विभागों के लिए प्रतिदिन करीब 200 लीटर ऑक्सीजन की खरीद होती है.