भागलपुर. संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने कहा कि सामान्य लोग अहंकार के सहारे ही जीवन जीते हैं. अगर अहंकार निकल गया, तो सब कुछ समाप्त माना जाता है. अहंकार ठीक नहीं हैं. मैं ही सबकुछ हूं ऐसा अहंकार गलत है. शुक्रवार को भागलपुर पहुंचे संघ प्रमुख ने लोगों को जीवन का सार बताया. संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने कहा है कि भारत विश्वगुरू बने ये सभी चाहते हैं, लेकिन धार्मिक स्थलों के भौतिक विकास के साथ-साथ साधना के स्तर पर भी काम जारी रखना जरूरी है. भागवत ने कहा कि हमेशा सत्य के मार्ग के चलना होगा. निरंतर चलने से ही मंजिल मिलेगी.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बताया कि सन्तों की उपस्थिति में ये पहली बार कर रहा हूं. मोहन भागवत ने कहा कि पशु और मनुष्य का जीवन अलग है. सत्य को परखना है तो संतों के बीच आना होगा. भारत को देने के लिए दुनिया के पास क्या है? सारे चिंतक कहते है कि भारत के विचारों से ही संतोष मिल सकता है. भारत के पास साधना है. तपस्या है. यही रास्ता है मंजिल पाने का. उन्होंने लोगों के जीवन पर बात करते हुए कहा कि किसी बड़े शीश महल पर कौआ भी बैठा है तो लोग गरुड़ समझें. उन्होंने सत्संग पर बताया कि इससे जीवन में कई बातों को सीखने का मौका मिलता है. सत्संग जीवन जीने के सार को सिखाता है. प्रत्येक व्यक्ति में एक अहंकार होता है, और उसी के सहारे जीता है, लेकिन मैं ही सब कुछ हूँ ये अहंकार गलत है. सभी लोगों को सत्य के राह पर चलना चाहिए. इससे सुख की प्राप्ति होगी.
इससे पूर्व आरएसएस प्रमुख शुक्रवार को नवगछिया स्टेशन से कुप्पाघाट महर्षि मेंही में आश्रम पहुंचे. इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये थे. इस दौरान उन्होंने कुप्पाघाट में गुरुनिवास का उद्घाटन किया. संघ प्रमुख ने आश्रम में बने गौशाला में गौ पूजन किया. फिर उनके समाधि स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित की. उसके बाद सत्संग हॉल पहुंचे वहां पर उन्होंने महर्षि मेंही एक विचार एक व्यक्तित्व डॉक्यूमेंट्री का पोस्टर रिलीज किया. गुफा दर्शन किए. निवास स्थल के सामने वृक्षा रोपण भी किया. इसके उपरांत आचार्य किशोर कुणाल समेत कई अतिथि के संग संघ प्रमुख नवगछिया के रास्ते भागलपुर पहुंचे.
इस अवसर पर किशोर कुणाल ने बताया कि महर्षि मेंही के धरती पर आने का सौभाग्य मिला है. उन्होंने परमहंस जी को नमन किया. उनके जीवनी पर बताते हुए कहा कि उन्होंने सभी को एक करने का काम किया है. उन्होंने बताया कि परमहंस जी ने कई चीजों पर अध्ययन किया था. सभी लोगों को साथ चलने के राह को भी बताया था. वो उत्तर भारत के सबसे बड़े संत थे. संघ प्रमुख के पहुंचते ही मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया. पास वाले लोगों को ही अंदर आने दिया गया. आम लोगों के प्रवेश पर गुरुवार से रोक लगा दी गई थी.