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चाचा से मेरी कोई लड़ाई नहीं, मेरी लड़ाई नीतीश कुमार से, बोले चिराग पासवान- गठबंधन के भीतर बैठकर हो चर्चा

चिराग पासवान और पशुपति पारस एनडीए का हिस्सा तो बन गये, लेकिन दोनों में तनातनी की खबरें अब भी सामने आ रही हैं. ऐसे में चिराग पासवान ने कहा कि पशुपति कुमार पारस जो शोर हल्ला मचा रहे हैं, उसका कोई उसका फायदा नहीं है. चाचा से मेरी कोई लड़ाई नहीं है, मेरी लड़ाई नीतीश कुमार से है.

गया. बिहार में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं. बदलते समीकरणों ने राजनीति के बीच रिश्तों को भी एक नये मोड़ पर ला खड़ा किया है. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान अब भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा हो चुके हैं, जहां पहले ही उनके चाचा पशुपति पारस सहयोगी हैं. चिराग पासवान और पशुपति पारस एनडीए का हिस्सा तो बन गये, लेकिन दोनों में तनातनी की खबरें अब भी सामने आ रही हैं. ऐसे में चिराग पासवान ने कहा कि पशुपति कुमार पारस जो शोर हल्ला मचा रहे हैं, उसका कोई उसका फायदा नहीं है. चाचा से मेरी कोई लड़ाई नहीं है, मेरी लड़ाई नीतीश कुमार से है. न मैंने अपने चाचा पर कभी टिप्पणी की है और न आगे करूंगा.

यह कोई मेरी व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है

एनडीए की बैठक में शामिल होने के बाद रविवार को पटना पहुंचे एलजेपीआर अध्यक्ष चिराग पासवान ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मैं बार-बार इस बात को कह रहा हूं कि हम लोग बहुत आगे निकल गये हैं. चाचा पशुपति पारस के बारे में दो से ढाई वर्षों में मैंने कभी कोई टिप्पणी नहीं की और ना मैं आज करूंगा. चिराग पासवान ने कहा कि मेरी कोई घर, परिवार, व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है. मुझे इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता है. चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच तनातनी की वजह हाजीपुर लोकसभा सीट है. पशुपति पारस कह चुके हैं कि वो किसी भी कीमत पर इस सीट को नहीं छोड़ेंगे. चाचा पशुपति के तल्ख तेवरों के बाद अब चिराग पासवान ने इस पर जवाब दिया है. लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि गठबंधन की बातें, सीटों पर समझौता, ये गठबंधन में होते हैं, गठबंधन के बाहर नहीं. गठबंधन के बाहर अपनी बातों को रखना गलत नहीं है.

हर गठबंधन की एक सीमा होती है

चिराग पासवान ने कहा कि सार्वजनिक रूप से चिल्लाने से उनके मुद्दों का समाधान नहीं होगा. वह मुझसे उम्र में बड़े हैं और वह नाराज हो सकते हैं, लेकिन मैं उन्हें समस्याओं के समाधान के लिए गठबंधन में मुद्दों पर चर्चा करने की सलाह देना चाहता हूं. सिर्फ मीडिया में जाने और सार्वजनिक रूप से चिल्लाने से उन्हें मदद नहीं मिलेगी. उन्होंने कहा कि हर गठबंधन की एक सीमा होती है. जब तक गठबंधन के भीतर सभी बिंदुओं पर सहमति नहीं बन जाती, तब तक सार्वजनिक तौर पर चर्चा करना समझदारी नहीं होगी. गठबंधन के लिए विवाद पैदा करना अच्छी बात नहीं है. मैंने जो भी मुद्दे उठाए, वह गठबंधन के भीतर थे और इन चीजों पर सार्वजनिक मंच पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है. 18 जुलाई को दिल्ली में एनडीए की बैठक के दौरान पारस के पैर छूने के बारे में पूछे जाने पर, पासवान ने कहा कि मैं पिछले ढाई साल में इन चीजों से बहुत दूर आ गया हूं. मैंने अतीत में उनके खिलाफ कुछ नहीं कहा और भविष्य में भी कुछ नहीं कहूंगा. मेरे लिए, बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट ही मेरा अंतिम एजेंडा है.

गठबंधन के भीतर बैठकर हो चर्चा

हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को लेकर पशुपति कुमार पारस के बयान पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास पासवान) प्रमुख चिराग पासवान ने कहा कि इस विषय पर गठबंधन के अंदर चर्चा होनी चाहिए. मीडिया के सामने आकर अगर घटक दल ऐसे बयानबाजी करेंगे कि हम कुछ भी हो जाए (हाजीपुर से) लड़ेंगे. ये ग़लत बयानबाजी है. आप गठबंधन के भीतर बैठकर चर्चा करें. इससे गठबंधन की छवि खराब होती है. चिराग पासवान ने कहा आप जब किसी गठबंधन का हिस्सा होते हैं तो गठबंधन की मर्यादा ये कहती है कि तमाम बातें गठबंधन के भीतर तय होती है और अगर गठबंधन के तमाम घटक दल बात विवाद उत्पन्न करेंगे ये ठीक नहीं है.

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भाजपा ने हमें सम्मान दिया है

चिराग पासवान ने कहा कि एनडीए में हिस्सा बनने की औपचारिक घोषणाएं हो चुकी है. इसको लेकर अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात हुई थी. इन मुलाकातों में ना सिर्फ लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास की जो चिंताएं थी, उसको सम्मान दिया गया, बल्कि आने वाले 2024 और 2025 के चुनाव को लेकर भी गठबंधन की रूपरेखा तैयार की गई. चिराग पासवान ने कहा कि हर बार मैंने गठबंधन को लेकर कहा कि चुनाव के समय ये फैसला लिया जाएगा, लेकिन जिस तरीके से भाजपा के शीर्ष नेताओं के द्वारा एलजेपी आर से संपर्क साधा गया और नित्यानंद राय की मुझसे कई मुलाकातें हुईं, जिसमें सम्मान दिया गया. चिराग पासवान ने कहा कि भाजपा से उनका कभी मतभेद नहीं रहा. प्रधानमंत्री ने उन्हें तब सहारा दिया जब वो एकदम अकेले थे. चिराग पासवान ने कहा कि एनडीए से बाहर जाना और फिर अंदर आना दोनों के पीछे एक ही कारण रहा और वो नीतीश कुमार हैं. मैं एनडीए में नीतीश कुमार के साथ सहज नहीं था.

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