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आइटीआर फाइल नहीं किया तो देना होगा दोगुना टीडीएस, एक जुलाई से प्रावधानों में हो रहा बदलाव

अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं, तो एक जुलाई से आपको ज्यादा टीडीएस और टैक्स देना पड़ सकता है. फाइनेंस एक्ट, 2021 के मुताबिक अगर किसी टैक्सपेयर ने पिछले दो साल से इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं किया है, तो उसे ज्यादा टीडीएस और टीसीएस देना होगा.

पटना. अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं, तो एक जुलाई से आपको ज्यादा टीडीएस और टैक्स देना पड़ सकता है. फाइनेंस एक्ट, 2021 के मुताबिक अगर किसी टैक्सपेयर ने पिछले दो साल से इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं किया है, तो उसे ज्यादा टीडीएस और टीसीएस देना होगा. अगर इन दो वर्षों में उनसे काटा गया टीडीएस या टीसीएस (टैक्स कलेक्शन एट सोर्स) 50 हजार रुपये या इससे ज्यादा है तो ऊंची दरों के हिसाब से टीडीएस देना होगा. यह नियम एक जुलाई 2021 से लागू हो जायेगा.

नये प्रावधान के बारे में वरीय चार्टर्ड अकाउंटेंट राजेश खेतान ने बताया कि अभी तक वस्तुओं की खरीद के लिए किये गये भुगतान टीडीएस के दायरे में नहीं थे. अब वैसे व्यवसायी जिनका सालाना टर्नओवर 10 करोड़ रुपये से अधिक है और एक साल में एक व्यवसायी को अगर 50 लाख से अधिक का भुगतान किया है, तो 50 लाख से अधिक की राशि पर 0.1 फीसदी की दर से टीडीएस (धारा 194 क्‍यू) काटना होगा.

खेतान ने बताया कि यहां राहत की बात यह है कि वैसे लेनदेन जो धारा 194 क्यू के तहत आते हैं, वहां एक अक्‍तूबर 2020 से लागू हुए टीसीएस धारा 206C (1एच) के प्रावधान लागू नहीं होंगे. यानी आपके सप्‍लायर आपसे 0.1 फीसदी की दर से टीसीएस लेना बंद कर देंगे. उन्‍होंने बताया कि आपको भी अपने वैसे ग्राहक जिनका टर्नओवर सालाना 10 करोड़ रुपये से ज्यादा है. उनसे टीसीएस लेना बंद करना होगा. वैसे ग्राहक अब आपसे 0.1 फीसदी की दर से टीडीएस काटेंगे.

अन्य ग्राहकों के लिए टीसीएस के प्रावधान पहले की तरह ही रहेंगे. खेतान के अनुसार अभी तक केवल वैसे लोग जिनका पैन नहीं होता था, उनसे टीडीएस उच्‍च दर पर काटा जाता था, लेकिन एक जुलाई से अगर भुगतान पाने वाले ने पिछले दो साल का आयकर रिटर्न निर्धारित तारीख के अंदर जमा नहीं किया है और उसके 26एएस में सालाना 50 हजार रुपये से अधिक टीडीएस या टीसीएस काटा गया है, तो वैसे मामलों में दोगुना रेट या 5 फीसदी जो भी ज्यादा हो उस रेट पर टीडीएस काटा जायेगा. वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 के टर्नओवर को आधार बनाया जायेगा. हालांकि यह बदलाव सैलरी के पेमेंट वाले मामले में लागू नहीं होगा.

Posted by Ashish Jha

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