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स्क्रैप वाहन नीति लागू हुई तो तीन लाख वाहन हो जायेंगे शहर से बाहर, 19 लाख वाहन हैं पटना डीटीओ में रजिस्टर्ड

Bihar News: बिहार में भी जल्द ही इसके लागू होने की उम्मीद है. पटना में इसके लागू होने के बाद लगभग तीन लाख वाहन सड़कों से बाहर हो जायेंगे.

By Prabhat Khabar News Desk | October 19, 2021 7:20 AM

पटना. पिछले सप्ताह दिल्ली में स्क्रैप वाहन नीति लागू कर दी गयी. इसके साथ ही 20 वर्ष पुराने निजी वाहन व 15 वर्ष पुराने व्यावसायिक वाहनों को दिल्ली पुलिस द्वारा जब्त किया जाने लगा है. पहले दिन 15 ऐसे वाहनों पर कार्रवाई की गयी, जो तय अवधि से अधिक पुराने थे, लेकिन उनके पास ऑटोमेटिक फिटेनस सर्टिफिकेट नहीं था. बिहार में भी जल्द ही इसके लागू होने की उम्मीद है. पटना में इसके लागू होने के बाद लगभग तीन लाख वाहन सड़कों से बाहर हो जायेंगे.

19 लाख वाहन हैं पटना डीटीओ में रजिस्टर्ड

पटना डीटीओ में अभी 19 लाख वाहन रजिस्टर्ड हैं. इनमें लगभग छह लाख समय के साथ जर्जर या पूरी तरह कबाड़ हो गये हैं और अब सड़क पर चलने के लायक नहीं हैं. 13 लाख वाहन, जो सड़क पर चलने लायक हैं, उनमें से लगभग तीन लाख पटना शहर से बाहर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और 10 लाख वाहन शहर में चलते हैं. इनमें से लगभग तीन लाख वाहन ऐसे हैं, जो अपने लिए निर्धारित उम्र की सीमा पार कर चुके हैं और स्क्रैप वाहन नीति के लागू होते साथ इन्हें फिटनेस टेस्ट पास करना होगा अथवा ये सड़क से बाहर कर दिये जायेंगे.

पटना जिला परिवहन कार्यालय में वर्तमान में आठ लाख बाइक रजिस्टर्ड हैं. इनमें दो लाख बाइक ऐसे हैं, जो 20 वर्ष से पुरानी हैं. उनमें लगभग आधी इस हद तक जर्जर हो चुकी हैं कि अब सड़क पर चलने के लायक नहीं हैं. स्कूटर के लगभग सभी मॉडल और मोटरसाइकिल में राजदूत, येजदी जैसे पुराने मॉडल इनमें शामिल हैं, जिनको अब कंपनियों ने बनाना ही बंद कर दिया है. लेकिन, एक लाख बाइक, जिनमें कुछ स्कूटर भी शामिल हैं अब भी इस लायक हैं कि लोग इन्हें इस्तेमाल में लाते हैं. इनमें कुछ अक्सर तो कुछ कभी-कभार इस्तेमाल में लाये जाते हैं. नयी स्क्रैप नीति के लागू होने के बाद अनफिट होने की वजह से ये सारे सड़क से बाहर हो जायेंगी.

केंद्र सरकार द्वारा घोषित वाहन स्क्रैप नीति के अंतर्गत व्यावसायिक वाहनों की सामान्य उम्र 15 वर्ष तय की गयी है, जबकि 20 वर्ष तक निजी वाहन चले सकेंगे. इसके बाद वाहनों को चलने की इजाजत तभी मिलेगी, जब वे ऑटोमेटिक फिटनेस टेस्ट को पास कर लेंगे. लेकिन, ऐसा विरले ही संभव होगा, क्योंकि 15-20 वर्षों के बाद आमतौर पर वाहनों के इंजन का फिटनेस इस लायक नहीं होता है कि वे प्रदूषण नियंत्रण के मानकों पर खरा उतर सकें.

अनफिट सेकेंड और थर्ड हैंड कारें भी हो जायेंगी सड़क से बाहर

शहर में ऐसे लोग हैं, जिन्होंने सेकेंड और थर्ड हैंड कारें ले रखी हैं. इनमें से अधिकतर की उम्र 20 साल को पार कर चुकी हैं. इनमें से कुछ का हर दिन तो कुछ का लोग कभी-कभार इस्तेमाल करते हैं. लेकिन ये सभी शहर की सड़कों से एक साथ बाहर हो जायेंगे, क्योंकि इनकी हालत ऑटोमेटिक फिटनेस टेस्ट को पास करने लायक नहीं है.

पुराने व्यावसायिक और निजी वाहनों को देना होगा फिटनेस टेस्ट

केंद्र सरकार द्वारा घोषित वाहन स्क्रैप नीति के अंतर्गत व्यावसायिक वाहनों की सामान्य उम्र 15 वर्ष तय की गयी है, जबकि 20 वर्ष तक निजी वाहन चले सकेंगे. इसके बाद वाहनों को चलने की इजाजत तभी मिलेगी, जब वे ऑटोमेटिक फिटनेस टेस्ट को पास कर लेंगे. लेकिन, ऐसा विरले ही संभव होगा, क्योंकि 15-20 वर्षों के बाद आमतौर पर वाहनों के इंजन का फिटनेस इस लायक नहीं होता है कि वे प्रदूषण नियंत्रण के मानकों पर खरा उतर सकें.

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