IIT में अब होगी बीएड, आर्ट्स और ह्यूमैनिटीज की भी पढ़ाई, चार साल में मिलेगी डिग्री
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए अब आइआइटी में भी चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड प्रोग्राम की पढ़ाई होगी. शिक्षा मंत्री ने अगले 25 सालों में नये भारत के लिए आइआइटी को 2047 का रोडमैप तैयार करने का निर्देश दिया.
आइआइटी में अब बीएड, आर्ट्स और ह्यूमैनिटीज की पढ़ाई शुरू होगी. इसके साथ ही मल्टीपल एंट्री व एग्जिट का मौका मिलेगा. यह फैसला दो साल के बाद मंगलवार को भुवनेश्वर में हुई आइआइटी काउंसिल की 55वीं बैठक में लिया गया. इसमें अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों के लिए समर्थन बढ़ाना, पीएचडी छात्राओं के लिए अतिरिक्त एक साल का कार्यकाल बढ़ाना और आइआइटी में रिक्तियों को जल्द भरने का फैसला हुआ. सबसे ज्यादा चर्चा इस बात पर हुई कि छात्रों की मानसिक सेहत को कैसे ठीक रखा जाए.
मल्टीपल एंट्री-एग्जिट की मिलेगी सुविधा
बैठक में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि छात्रों के बीच असफलता के डर और दबाव को कम करने की जरूरत है. प्रमुख आइआइटी में किसी भी तरह के भेदभाव के लिए जीरो टॉलरेंस होनी चाहिए. एनइपी 2020 के तहत यदि कोई छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ता है, तो उसे मल्टीपल एंट्री-एग्जिट की सुविधा मिलेगी. इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगा. पढ़ाई का तनाव दूर करने पर कमजोर छात्रों के लिए शिक्षकों की अतिरिक्त कक्षाएं, भाषा दिक्कत दूर करने पर भी विशेष रूप से निर्देश दिये गये हैं. बैठक में पटना समेत देश के 23 आइआइटी के निदेशक मौजूद थे.
आइआइटी में बनेगी मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली
पिछले पांच साल में विभिन्न आइआइटी के 34 छात्रों ने आत्महत्या की है. इसको लेकर, धर्मेंद्र प्रधान ने निदेशकों से परिसरों में भेदभाव के लिए जीरो टॉलरेंस सुनिश्चित करने को कहा. उन्होंने निदेशकों से भेदभाव रोकने के लिए सभी प्रकार से मजबूत तंत्र बनाने के लिए सक्रिय होने को कहा.
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शिक्षा व रिसर्च का रोडमैप तैयार करेगा आइआइटी
आइआइटी डिजिटल लाइब्रेरी भी बनायेगा. शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए अब आइआइटी में भी चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड प्रोग्राम की पढ़ाई होगी. शिक्षा मंत्री ने अगले 25 सालों में नये भारत के लिए आइआइटी को 2047 का रोडमैप तैयार करने का निर्देश दिया. इसमें शिक्षा, रिसर्च, इनोवेशन के माध्यम से देश और आम लोगों के लिए सस्ते उपकरण और तकनीक इजाद करना है. इसके लिए आइआइटी को छोटी-छोटी योजनाएं बनाकर अगले साल तक देनी होगी.