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13 वर्ष की आयु में आईआईटी जेईई, 24 साल में पीएचडी, जानें अब एप्पल में क्या कर रहा है बिहार का सत्यम कुमार

सत्यम ने 2023 में 24 साल की उम्र में टेक्सास विश्वविद्यालय से अपनी पीएचडी पूरी की. सत्यम कुमार के लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार वह वर्तमान में ऐप्पल में मशीन लर्निंग इंटर्न के रूप में काम कर रहे हैं.

पटना. बिहार के एक किसान के बेटे सत्यम कुमार ने 12 साल की उम्र में एक यात्रा शुरू की और एक आश्चर्यजनक उपलब्धि हासिल की है. सत्यम कुमार ने महज 13 साल की उम्र में प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-संयुक्त प्रवेश परीक्षा (आईआईटी-जेईई) में सफलता हासिल की. आईआईटी कानपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक-एमटेक की डिग्री पूरी करने के बाद सत्यम कुमार अपनी पीएचडी पूरी करने के लिए ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय चले गए. सत्यम ने 2023 में 24 साल की उम्र में टेक्सास विश्वविद्यालय से अपनी पीएचडी पूरी की. सत्यम कुमार के लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार वह वर्तमान में ऐप्पल में मशीन लर्निंग इंटर्न के रूप में काम कर रहे हैं.

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सबसे कम उम्र में आईआईटी जेईई परीक्षा क्रैक करने का रिकॉर्ड

आईआईटी जेईई परीक्षा को भारत में कई कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है. लाखों बच्चें हर साल आईआईटी में प्रवेश लेने के उद्देश्य से आईआईटी जेईई परीक्षा में शामिल होते हैं. हालांकि केवल कुछेक हजार बच्चों को ही परीक्षा में सफलता मिलती है. 2013 में बिहार के एक प्रतिभाशाली बच्चे ने महज 13 वर्ष की आयु में आईआईटी जेईई परीक्षा पास कर कीर्तिमान रच दिया. 13 वर्ष में बनें आईआईटीयन केवल 13 वर्ष की आयु में आईआईटी जेईई परीक्षा पास कर सत्यम कुमार ने कम उम्र में आईआईटी जेईई परीक्षा क्रैक करने का रिकॉर्ड बनाया. सत्यम कुमार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-संयुक्त प्रवेश परीक्षा यानी आईआईटी-जेईई परीक्षा में सफल होने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय और यंग आईआईटीयन के नाम से प्रसिद्ध हुए. उन्होंने 2013 में आईआईटी जेईई परीक्षा में 670वीं रैंक हासिल की थी.

कौन हैं सत्यम कुमार

सत्यम कुमार बिहार के भोजपुर जिले के रहने वाले हैं और उनके पिता एक किसान हैं. सत्यम ने अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए राजस्थान के कोटा में पढ़ाई की और कड़ी मेहनत के दम पर वह आईआईटी जेईई प्रवेश परीक्षा पास करने में सफल रहे. बखोरापुर गांव के सत्यम कुमार ने दो बार जेईई में सफलता हासिल की. सत्यम के पिता सिद्धनाथ सिंह एक किसान हैं. बेटे की सफलता से खुश सत्यन ने मीडिया को बताया था, हमें अपने बेटे पर गर्व है. उसने इस उम्र में कुछ खास किया है.

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पहले प्रयास में रैंक से नाखुश, फिर किया प्रयास

सत्यम पहली बार 2011 में 12 साल की उम्र में आईआईटी-जेईई के लिए उपस्थित हुए और एआईआर 8137 हासिल की, लेकिन वह रैंक से खुश नहीं थे. उन्होंने 2012 में फिर से परीक्षा दी और एआईआर 679 के साथ जेईई में सफलता हासिल की. सत्यम कुमार बाद में आईआईटी कानपुर में शामिल हो गए. उन्होंने आईआईटी कानपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर की डिग्री पूरी की. सत्यम को ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस, न्यूरो इंजीनियरिंग एवं मशीन लर्निंग में बेहद रुचि है.

मुझे सफल होने का भरोसा था

पत्रकारों से बात करते हुए सत्यम कहते हैं कि मैं अपनी कम रैंक से संतुष्ट नहीं था और इसलिए फिस से आईआईटी जेईई परीक्षा देने के बारे सोचा. मैंने ठान लिया था कि दूसरे प्रयास में सफल होकर रहूंगा, मुझे सफल होने का भरोसा था. एक अंग्रेजी अखबार को दिये अपने साक्षात्कार के दौरान सत्यम ने कहा था कि वह फेसबुक जैसा कुछ विकसित करना चाहते हैं.

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