दरभंगा में मखान और सिंघाड़ा की खेती की अपार संभावनाएं, प्रशिक्षु किसानों को दी गयी उन्नत खेती की ट्रेनिंग
एमएलएसएम कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ विद्यानाथ झा ने जलीय फसलों की चर्चा करते हुए बताया कि जल क्षेत्रों का विकास समय की मांग है. बढ़ती जनसंख्या के कारण खेती योग्य जमीन में कमी आ रही है.
दरभंगा जिले में मखान और सिंघाड़ा की खेती की अपार संभावनाएं है. मखाना अनुसंधान केंद्र व भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णिया के संयुक्त तत्वावधान में अनुसंधान केंद्र के प्रशिक्षण सभागार में सात दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हो गया. इसमें राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंध संस्थान हैदराबाद की ओर से प्रायोजित मखाना प्रसंस्करण, विपणन व ब्रांडिंग तकनीक की ट्रेनिंग दी गयी.
प्रशिक्षुओं के बीच प्रमाण-पत्र का वितरण किया गया
इसके उपरांत प्रशिक्षुओं के बीच प्रमाण-पत्र का वितरण किया गया. समारोह की अध्यक्षता मखाना अनुसंधान केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक सह अध्यक्ष डॉ इंदु शेखर सिंह ने की. वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में कृषि महाविद्यालय पूर्णिया के प्राचार्य डॉ पारस नाथ मौजूद थे. मौके पर मखान विकास योजना के सह अन्वेषक डॉ मनोज कुमार ने प्रशिक्षण की रूप रेखा प्रस्तुत की. वहीं डॉ इन्दु ने कहा कि प्रदेश में मखान के साथ-साथ सिंघाड़ा की खेती के विस्तार की अपार संभावना है. इसका कृषक लाभ उठायें.
सर्वांगीण विकास के लिए दी गई जानकारी
उन्होंने जल जमाव क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए कई आधुनिक तकनीकी के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी. वहीं एमएलएसएम कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ विद्यानाथ झा ने जलीय फसलों की चर्चा करते हुए बताया कि जल क्षेत्रों का विकास समय की मांग है. बढ़ती जनसंख्या के कारण खेती योग्य जमीन में कमी आ रही है.
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जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक आदि ने भी विचार रखे
इसे लेकर खाद्यान्न उत्पादन की समस्या के समाधान के लिए बेकार पड़े जल जमाव क्षेत्रों का उपयोग बेहतर विकल्प हो सकता है. इस दौरान डीएओ, आत्मा परियोजना निदेशक, जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक आदि ने भी विचार रखे. मौके पर आयोजन समिति के समन्वयक डॉ अनिल कुमार, सह समन्वयक मृदा वैज्ञानिक डॉ पंकज कुमार यादव आदि प्रमुख थे.
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