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बिहार के 150 निकायों में कृषि से आवासीय हुई जमीन, सरकार ने की एक हजार करोड़ अतिरिक्त वसूली

राज्य में भले ही वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान में जमीन का सर्किल रेट नहीं बढ़ाया गया हो. सर्किल रेट नहीं बढ़ने के कारण निबंधन शुल्क में इस बार भी वृद्धि नहीं हुई है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 4, 2021 12:31 PM

पटना. राज्य में भले ही वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान में जमीन का सर्किल रेट नहीं बढ़ाया गया हो. सर्किल रेट नहीं बढ़ने के कारण निबंधन शुल्क में इस बार भी वृद्धि नहीं हुई है. मगर, सर्किल रेट में संशोधन नहीं होने के बावजूद चालू वित्तीय वर्ष में करीब एक हजार करोड़ तक अधिक राजस्व आने की उम्मीद है.

दरअसल, राज्य में 117 नये और अन्य निकायों के सीमा विस्तार के बाद करीब 150 नगर निकायों में जमीन की प्रकृति ही बदल गयी है. अब इस परिवर्तन के कारण लगभग डेढ़ सौ नगर निकायों में कृषि योग्य भूमि अब बदल कर आवासीय क्षेत्र में परिवर्तित हो गयी है. इस कारण जमीन का निबंधन शुल्क स्वत: ही बढ़ गया है. जो अतिरिक्त राजस्व का माध्यम है.

पांच हजार करोड़ से अधिक राजस्व की वसूली

इस वित्तीय वर्ष में निबंधन विभाग की ओर से 5000 करोड़ राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. यह लक्ष्य पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना 300 करोड़ अधिक हैं. विभाग के अधिकारियों के अनुसार कोरोना के कारण वर्तमान स्थिति में पांच हजार करोड़ के लक्ष्य को पाना मुश्किल था.

मगर नये निकायों के गठन के बाद जो जमीन के प्रकार में अंतर आया है. इससे राजस्व वसूली की स्थिति बेहतर होगी. वहीं, अगर कोरोना की तीसरी लहर नहीं आती है तो इसकी पूरी संभावना है कि राज्य सरकार को राजस्व वसूली का आंकड़ा साढ़े पांच हजार करोड़ के पार चला जाये.

12 लाख के करीब होता है संपत्ति निबंधन

पिछले दो-तीन वर्षों के आंकड़ों को देखा जाये तो राज्य में प्रति वर्ष करीब 12 लाख के लगभग संपत्ति निबंधन का काम होता है. अप्रैल से लेकर मई-जून तक निबंधन की संख्या कम होती है. फिर नवंबर दिसंबर में निबंधन संख्या में गिरावट आती है. मगर इसके बाद जनवरी से मार्च तक प्रतिदिन निबंधन का आंकड़ा बढ़ जाता है.

दो फीसदी अतिरिक्त स्टांप शुल्क

निबंधन विभाग की ओर से जमीन व संपत्ति निबंधन शुल्क को लेकर अतिरिक्त दो फीसदी अतिरिक्त स्टांप शुल्क की वसूली की जा रही है. निबंधन विभाग यह राशि नगर निकायों को देता है.

Posted by Ashish Jha

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