बिहार में सालभर में बढ़ीं बैंकों की 117 नयी शाखाएं, इनमें 110 निजी बैंकों की
सूबे में बैंकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इससे राज्य में वित्तीय कारोबार भी बढ़ा है. बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 की रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2019-20 में सूबे में प्रमुख बैंकों की कुल 177 नयी शाखाएं खोली गयीं.
सुबोध कुमार नंदन, पटना. सूबे में बैंकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इससे राज्य में वित्तीय कारोबार भी बढ़ा है. बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 की रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2019-20 में सूबे में प्रमुख बैंकों की कुल 177 नयी शाखाएं खोली गयीं. हालांकि इनमें अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों की तुलना में निजी बैंकों ने अधिक योगदान किया.
177 शाखाओं में से 110 शाखाएं प्राइवेट बैंकों द्वारा खोली गयीं. इनमें 71 ग्रामीण, 42 अर्द्ध शहरी, 40 शहरी और 24 महानगर इलाके में खुलीं. वहीं, स्टेट बैंक सहित सार्वजनिक बैंकों की 48 नयी शाखाएं खोली गयीं. जबकि लघु वित्त बैंकों और भुगतान बैंकों की संयुक्त रूप से 19 शाखाएं खुलीं.
सहकारी बैंक की शाखाओं में बढ़ोतरी नहीं : सूबे में बिहार में दक्षिण बिहार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और उत्तर बिहार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक है. वर्ष 2019-20 में इन दोनों बैंकों की शाखाओं में कोई विस्तार नहीं हुआ. बिहार में महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्य की तुलना में राज्य सहकारी बैंकों की मौजूदगी सीमित है.
पिछले तीन सालों में सहकारी बैंकों की शाखाओं में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. वर्ष 2017 में राज्य सहकारी बैंकों की संख्या 12 थी. 2019 में भी 12 ही रहीं. वहीं, जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों की संख्या वर्ष 2017 में 312 था. वर्ष 2019 में इसकी संख्या 323 हो गयी. अगर देखा जाये तो तीन साल में इनकी महज 11 शाखाएं खुलीं. इस वक्त हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक राज्य सहकारी बैंक हैं, जिनकी संख्या 227 है.
नयी शाखाओं में 40 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र में
वर्ष 2019- 20 में नयी खुली शाखाओं में से लगभग 40 फीसदी ग्रामीण क्षेत्रों में खुलीं, जो वर्ष 2018-19 के 30.30 फीसदी की तुलना में अधिक रहीं. वहीं, शहरी क्षेत्र में 22.6 फीसदी और अर्ध शहरी क्षेत्रों में 23.7 फीसदी शाखाएं खुलीं.
वर्ष 2015-16 में 623, 2016-17 में 227, 2017-18 में 219, 2018-19 में 221 और 2019-20 में 177 शाखाएं खुलीं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर 2015 से 2020 के बीच बिहार का हिस्सा 4.7 फीसदी से थोड़ा बढ़ कर 4.9 फीसदी हो गया.
इस बढ़ोतरी के बाद भी देश की जनसंख्या में बिहार के 8.6 फीसदी हिस्से की तुलना में यह हिस्सा काफी कम है. हालांकि कर्नाटक 7.1 फीसदी के साथ देश में पहले स्थान पर है. दूसरे स्थान पर गुजरात और तीसरे स्थान पर बिहार है. मार्च 2020 के अंत में सूबे में इनकी 7589 शाखाएं थीं, जो पिछले वर्ष से 1.6 फीसदी अधिक है. वर्ष 2015 से मार्च 2020 के बीच शाखाओं की संख्या 20 फीसदी से अधिक बढ़ी है.
Posted by Ashish Jha