कौशिक रंजन, पटना. राज्य सरकार के स्तर से सरकारी कर्मियों की प्रोन्नति पर लगी रोक नहीं हटाने से सचिवालय में बड़ी संख्या में पद खाली होते जा रहे हैं. वर्ष 2018 से ही यह बंद पड़ा है. बिहार सचिवालय सेवा (बिससे) के प्रोन्नति से भरे जाने वाले 60 फीसदी से ज्यादा पद खाली हो चुके हैं. प्रोन्नति से भरे जाने वाले प्रशाखा पदाधिकारी (एसओ) से संयुक्त सचिव स्तर के कई पोस्ट पुरी तरह से खाली हो गये हैं.
बिससे के एक हजार 469 स्वीकृत पद हैं, जिनमें एक हजार 20 पद खाली पड़े हैं. महज 449 कर्मी ही कार्यरत हैं. इनमें संयुक्त सचिव रैंक के 16 और उपसचिव रैंक के 102 पद स्वीकृत हैं, जिनमें सभी खाली हैं. अपर सचिव के 311 स्वीकृत पद में आठ भरे और 303 खाली पड़े हैं.
प्रशाखा पदाधिकारी के एक हजार 40 स्वीकृत पद में 599 खाली हैं. महज 441 पद ही भरे हैं. इस तरह से अगर सहायक से संयुक्त सचिव स्तर के सभी खाली पड़े पदों को देखें, तो पांच हजार 433 स्वीकृत पदों में तीन हजार 373 पद खाली हैं, यानी 60 फीसदी से ज्यादा पद खाली हैं. इनमें महज दो हजार 60 पद ही भरे हुए हैं. इतनी बड़ी संख्या में पदों के खाली रहने के कारण सचिवालय के कई विभागों में अहम कार्य बाधित हो रहे हैं.
इसे देखते हुए रिटायर्ड हुए करीब दो दर्जन एसओ को फिर से नियोजन पर सामान्य प्रशासन विभाग ने बहाल किया है. इनकी बहाली एक वर्ष के लिए फिलहाल की गयी है. प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में कर्मी रिटार्यड हो रहे हैं, लेकिन न नयी बहाली हो रही है और न ही प्रोन्नति हो रही है. कर्मचारी संघों ने कई बार काला बिल्ला लगाकर सांकेतिक विरोध प्रदर्शन भी किया, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा है.
सचिवालय में सहायकों के पद भी पड़ी संख्या में खाली पड़े हैं. सहायकों के तीन हजार 964 पद स्वीकृत हैं. इनमें दो हजार 353 पद खाली पड़े हैं, जबकि एक हजार 611 पद पर ही सहायक कार्यरत हैं. सहायकों के एक हजार 360 पदों को भरने के लिए बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) को जुलाई 2019 में ही अधियाचना भेजी गयी है, परंतु अभी तक बहाली की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है.
बिहार सचिवालय सेवा संघ के अध्यक्ष बिनोद कुमार ने कहा कि सरकार को प्रोन्नति के मामले पर कई बार ज्ञापन सौंपा गया है. कई बार वार्ता भी हुई है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. प्रोन्नति के इंतजार में हर वर्ष बड़ी संख्या में कर्मी रिटायर्ड हो रहे हैं और बड़ी संख्या में पद खाली होते जा रहे हैं. इससे बचे हुए कर्मियों पर काम का बोझ बढ़ता जा रहा है. प्रोन्नति का मामला फिलहाल हाईकोर्ट में
कर्मियों की प्रोन्नति का मामला फिलहाल हाईकोर्ट में चल रहा है और यह सुनवाई अंतिम चरण में है, परंतु पिछले वर्ष से कोरोना के कारण इस मामले की सुनवाई अभी तक अटकी हुई है. राज्य सरकार कोर्ट के निर्णय के इंतजार में प्रोन्नति की प्रक्रिया को शुरू नहीं कर रही है.
हालांकि, कोर्ट के शुरुआती आदेश में प्रोन्नति पर रोक लगाने का कोई सीधा आदेश सरकार को नहीं दिया गया है. सरकार चाहे तो तत्कालिक प्रोन्नति दे सकती है, जिसकी मांग कर्मचारी संघ काफी समय से करते आ रहे हैं, परंतु राज्य सरकार के स्तर से इस पर कोई पहल नहीं की गयी है. इन तमाम कारणों से प्रोन्नति के इंतजार में कर्मचारी रिटायर्ड होते जा रहे हैं और पद खाली.
Posted by Ashish Jha