पटना. राज्य में एक अक्तूबर से फिर से बालू खनन शुरू हो जायेगा. बालू खनन फिलहाल दिसंबर, 2021 तक पुराने बंदोबस्तधारी ही करेंगे. उन सभी ठेकेदारों की अवधि 30 सितंबर को खत्म हो जायेगी. इसके लिए उनकी अवधि अक्तूबर से दिसंबर, 2021 तक विस्तार करने की विभागीय तैयारी की जा रही है.
इसका मकसद राज्य में बालू की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कर निर्माण कार्यों को जारी रखना है. इसके साथ ही राज्य में सिया का पुनर्गठन फिर से कर लिया गया है. इससे राज्य में 317 नये बालू घाटों को पर्यावरणीय स्वीकृति मिल सकेगी.
इसके बाद जनवरी, 2022 से नये बंदोबस्तधारी नदी घाटों से बालू खनन कर सकेंगे. सूत्रों के अनुसार 30 जून तक आठ जिलों में बालू का खनन हो रहा था. इनमें नवादा, अरवल, बांका, बेतिया, मधेपुरा, किशनगंज, वैशाली और बक्सर जिले शामिल हैं.
वहीं छह जिलों के बंदोबस्तधारियों ने एक मई, 2021 को ही खनन से मना कर दिया था. वहां बालू खनन नहीं हो रहा था. इन छह बालू घाटों के बंदोबस्तधारियों को बदलने की प्रक्रिया चल रही थी. इसके लिए सिया के पुनर्गठन की आवश्यकता थी.
अब सिया का गठन हो जाने से नये बदोबस्तधारियों के माध्यम से बालू का खनन शुरू किया जायेगा. इनमें पटना, भोजपुर, सारण, रोहतास और औरंगाबाद में बंदोबस्तधारियों ने एक मई से खनन से इन्कार कर दिया था, जबकि गया जिले के बंदोबस्तधारी ने पहले ही बालू खनन से मना कर दिया था.
राज्य में सिया के अध्यक्ष सहित तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गयी है. सिया के अध्यक्ष पटना विवि के भूगर्भ शास्त्र के विभागाध्यक्ष अतुल आदित्य पांडे बनाये गये हैं. इसके साथ ही खान एवं भूतत्व विभाग के विशेष सचिव सह निदेशक के पद से सेवानिवृत्त अरुण प्रकार को सिया का सदस्य बनाया गया है. बेल्ट्रॉन भवन में कार्यरत सुधीर कुमार सदस्य सचिव बनाये गये हैं.
Posted by Ashish Jha