पटना्. राज्य के हॉस्पिटल और शैक्षणिक संस्थानों में काम करने वालों को न्यूनतम मजदूरी देना होगा. वहीं, आउटसोर्सिंग पर काम करने वाले लोगों को पीएफ और इएसआइसी के दायरे में लाना अनिवार्य किया जायेगा.
श्रम संसाधन विभाग ने इस संदर्भ में सभी पदाधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद पूरे बिहार में लागू करने का निर्णय लिया है. इसको लेकर सभी कोचिंग, मॉल, हॉस्पिटल से वेतनमान की रिपोर्ट मांगी जायेगी और उनके यहां काम करने वाले कितने लोगों को सरकारी योजनाओं से जोड़ा गया है. इसकी पूरी जानकारी दी जायेगी, ताकि काम करने वाले सभी लोगों को काम के एवज में सही वेतन मिल सके.
विभाग को हाल के दिनों में कई शिकायतें मिली हैं,जो निजी संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों ने दी हैं कि उनसे समय से अधिक काम कराया जाता है और उन्हें किसी भी तरह की सुविधाओं से नहीं जोड़ा गया है.
हॉस्पिटल और शैक्षणिक संस्थानों में काम करने वाले लोगों को न्यूनतम मजदूरी नहीं देने वालों पर कार्रवाई की जायेगी. राज्य में लागू होने के बाद हॉस्पिटल एवं शैक्षणिक सभी संस्थानों के साथ बैठक होगी और श्रम कानून की जानकारी दी जायेगी. यह नियम प्राइवेट व सरकारी सभी संस्थानों में लागू होगा.इसका पालन नहीं करने पर संबंधित संस्थान पर कार्रवाई होगी.
इपीएफ और इएसआइसी के दायरे में लाना अनिवार्य : बिहार में आउटसोर्सिंग पर काम करने वाले लाखों लोगों को इपीएफ और इएसआइसी की सुविधाओं से वंचित रखा जाता है. इस कारण जब कोई कर्मी बीमार हो जाता है, तो वह मुश्किल में पड़ जाता है और उसे आर्थिक संकट से जूझना पड़ता है, लेकिन नये श्रम कानून के तहत बिहार में संविदा पर काम करने वालों को दोेनों सुविधाएं दी जायेंगी. श्रम विभाग इसको लेकर सख्ती से राज्य भर में अभियान चलायेगा. इसको लेकर विभाग ने सभी अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिया है.
Posted by Ashish Jha