बिहार में अब जिला कोर्ट के जज को हर साल बतानी होगी संपत्ति, जानिये ‘बिहार ज्यूडिशियल ऑफिसर्स कंडक्ट रूल्स, 2021’ की खास बातें
न्यायिक पदाधिकारी या उसके परिवार के सदस्य को प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर किसी भी मीडिया में प्रकाशक बनने या कोई किताब या आर्टिकल या कोई भी खबर लिखने से पहले हाईकोर्ट की मंजूरी आवश्यक होगी.
पटना .अब राज्य की सभी निचली अदालतों और इसके समकक्ष के न्यायिक अधिकारियों या जज को भी प्रत्येक वर्ष फरवरी के अंत तक अपनी चल और अचल संपत्ति का ब्योरा जारी करना होगा.
राज्य सरकार ने जिला और इससे नीचे या इसके समकक्ष के सभी अदालतों के जजों के लिए आचरण (कंडक्ट) को निर्धारित करने से संबंधित एक विशेष नियमावली बनायी है.
हाईकोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने ‘बिहार ज्यूडिशियल ऑफिसर्स कंडक्ट रूल्स, 2021’ को तैयार करके अधिसूचना जारी कर दी है.
इसे संविधान की धारा 309 के तहत तैयार किया है. हालांकि यह नियम हाईकोर्ट के किसी न्यायाधीश पर लागू नहीं होगा.
इस नयी नियमावली में कई खास बातों का भी उल्लेख किया गया है, जिसका पालन सभी ज्यूडिशियल अफसरों को करना अनिवार्य होगा. इनके लिए कई बंदिशें भी लगायी गयी हैं.
विदेश में किसी तरह की संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं. उनके शराब पीने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है. कार्यस्थल के अलावा अन्य किसी सावर्जनिक स्थलों पर शराब या अन्य किसी तरह के मादक पदार्थों के प्रयोग पर भी रोक है.
यहां तक कि किसी भी न्यायिक पदाधिकारी को नशे की हालत में आम लोगों के सामने आने से भी मना कर दिया गया है. किसी पदाधिकारियों का यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले में शामिल नहीं होना चाहिए.
कोई पदाधिकारी अपनी निजी अधिकार का उपयोग अपने किसी परिवार के सदस्य को किसी तरह का फायदा पहुंचाने के लिए नहीं कर सकते हैं. राजनैतिक पार्टी और चुनाव से संबंध नहीं रख सकते हैं. किसी एसोसिएशन का सदस्य बनने की भी मनाही होगी. प्रेस एवं रेडियो से जुड़ने पर मनाही होगी.
न्यायिक पदाधिकारी या उसके परिवार के सदस्य को प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर किसी भी मीडिया में प्रकाशक बनने या कोई किताब या आर्टिकल या कोई भी खबर लिखने से पहले हाईकोर्ट की मंजूरी आवश्यक होगी. परंतु अब इसकी अनिवार्यता को आगे बढ़ाते हुए ऑनलाइन बुक या आर्टिकल या खबर के प्रकाशन को भी इस प्रतिबंध की श्रेणी में शामिल कर दिया गया है.
किसी भी सूरत में हाईकोर्ट या सरकार की बुराई सार्वजनिक रूप से नहीं कर सकते हैं. किसी कमेटी के समक्ष गवाही नहीं दे सकते हैं. किसी भी व्यक्ति से कोई तोहफा वगैर नहीं ले सकते हैं.
नजदीकी रिश्तेदार और मित्र से सालाना पांच हजार रुपये से अधिक के गिफ्ट या सुविधा लेने पर हाईकोर्ट को सूचित करना होगा. जजों की विदाई समारोह को छोड़कर अन्य किसी भी स्वागत या सम्मान समारोह में नहीं जाना होगा. किसी तरह के शेयर ट्रेडिंग या इंवेस्टमेंट का व्यवसाय नहीं कर सकते हैं.
Posted by Ashish Jha