पटना. राज्य में जमीन से जुड़े विवादों को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए सरकार ने हाइटेक प्रणाली विकसित कर ली है. राज्य में लाखों लोगों के बीच भूमि विवाद हैं. जमीन से जुड़े छोटे- बड़े प्रत्येक विवाद को एक यूनिक कोड देने जा रही है. इस कोड के जरिये अंचल- थाना में बैठे अफसर से लेकर मुख्य सचिव तक यह जान जायेंगे कि विवाद किस गांव के किन लोगों के बीच है़ अब तक क्या घटित हो चुका है.
प्रशासन ने अब तक क्या – क्या कार्रवाई की है. इससे आगे की कार्रवाई करने में सहूलियत होगी. स्थानीय अधिकारी आला अधिकारियों को गुमराह नहीं कर सकेंगे. भूमि विवाद मामलों को 11 श्रेणियों में बांट कर इनका निष्पादन करने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग , गृह विभाग तथा बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन ने संयुक्त बैठक कर नयी व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है.
भूमि विवादों के कारगर निबटारे के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह की अध्यक्षता में गृह विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग तथा बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन की संयुक्त बैठक की गयी थी. इसमें बिहार में भूमि विवादों को लेकर थाना से लेकर मुख्यालय स्तर पर बैठक कर कार्रवाई करने के निर्देश दिये गये हैं.
तीनों विभागों के अधिकारियों ने भूमि विवाद से जुड़े सभी पहलुओं पर विचार कर एक प्रभावी व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है. राज्य के सभी भूमि विवाद की सूची तैयार कर उनको विशेष कूट संख्या (यूनिक कोड ) दिया जायेगा. इससे उनके स्थल, प्रकृति संवेदनशीलता, पूर्व का इतिहास आदि ब्योरा होगा. इनकी मॉनीटरिंग के लिए गृह विभाग एक सॉफ्टवेयर विकसित करेगा.
सरकार ने भूमि विवादों को 11 तरह की श्रेणी बनायी है. सरकारी भूमि पर कब्जे का विवाद, सरकारी भूमि का अतिक्रमण , बंदोबस्त भूमि से बेदखली का मामला, उच्चतम- उच्च न्यायालय में विचाराधीन मामले वाली भूमि को लेकर विवाद एवं कोर्ट के आदेश अनुपालन के समय उत्पन्न विवाद, राजस्व न्यायालय में विचाराधीन मामलों वाली भूमि को लेकर विवाद एवं रेवेन्यू कोर्ट के आदेश अनुपालन के समय उत्पन्न विवाद इन श्रेणियों में रखा गया है.
इसके अलावा सिविल न्यायालय में लंबित मामलों में सन्निहित भूमि को लेकर विवाद एवं न्यायालय के आदेश अनुपालन के समय उत्पन्न विवाद, भूमि की मापी – सीमांकन के समय उत्पन्न भू-विवाद (रैयती एवं सरकारी दोनों भूमि के मामले में), लोक शिकायत निवारण प्राधिकार के द्वारा पारित आदेश का अनुपालन में उत्पन्न विवाद , निजी रास्ता का विवाद पारिवारिक भूमि बंटवारा से उत्पन्न विवाद़ इसके बाद बचे हुए भूमि विवादों को 11 वीं (अन्य ) श्रेणी में रखा गया है.
Posted by Ashish Jha