मोहनिया में आग लगने पर बाल्टी लोटा का ही सहारा, जानें समय पर क्यों नहीं पहुंच सकती फायर बिग्रेड की गाड़ी

रेलवे लाइन से दक्षिण वाले शहरी क्षेत्र के रिहायशी इलाके में आग लगी की घटना होती है, तो नगर पंचायत के डड़वा में स्थित अनुमंडलीय अग्निशमन कार्यालय में रखी दमकल की दोनों बड़ी गाड़ियां सिर्फ शोभा की वस्तु बनकर ही रह जायेगी.

By Prabhat Khabar News Desk | October 31, 2023 5:14 PM

मोहनिया. शहर की लगभग 90 प्रतिशत आबादी यानी नगर पंचायत के कुल 16 वार्डों में से 14 वार्ड ग्रैंड रेल लाइन के दक्षिण स्थित मकानों में निवास करती है. नगर का सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाला वार्ड सात स्टूवरगंज भी इसमें शामिल है, जहां ज्वेलरी, कपड़ा से लेकर अन्य बड़े प्रतिष्ठान भी अवस्थित हैं. लेकिन यदि किसी कारण वश रेलवे लाइन से दक्षिण वाले शहरी क्षेत्र के रिहायशी इलाके में आग लगी की घटना होती है, तो नगर पंचायत के डड़वा में स्थित अनुमंडलीय अग्निशमन कार्यालय में रखी दमकल की दोनों बड़ी गाड़ियां सिर्फ शोभा की वस्तु बनकर ही रह जायेगी.

चाह कर भी नगर को जलने से समय रहते नहीं बचा पायेंगे दमकलकर्मी

फायर ब्रिगेड के अधिकारी व जवान चाह कर भी नगर को जलने से समय रहते नहीं बचा पायेंगे, क्योंकि फायर स्टेशन से रेलवे लाइन के दक्षिण वाले वार्डों तक पहुंचने में एक किमी दूरी की जगह उनको 60 किमी की अतिरिक्त दूरी तय कर शहर में पहुंचना पड़ेगा, जबकि इतने समय में सब कुछ जलकर राख हो चुका होगा. इसका सबसे बड़ा कारण मोहनिया-रामगढ़ पथ नेशनल हाइवे 319-ए डड़वा में बना आरओबी-60 का क्षतिग्रस्त होना है, जहां भारी वाहनों के आवागमन को रोकने के लिए डड़वा में ओवर हाइट बैरियर लगाया गया है, जिसकी वजह से 5000 लीटर गैलन क्षमता वाली दमकल की दोनों बड़ी गाड़ियां शहर में समय रहते नहीं पहुंच पायेंगी, सिर्फ छोटी गाड़ी से ही आग पर काबू पाने का प्रयास किया जा सकता है.

शहर की आबादी लगभग 35 से 40 हजार

चार नेशनल हाइवे, एनएच 319 ए, एनएच-30, एचएच-2, एनएच-219 व ग्रैंड रेल लाइन के बीच अवस्थित शहर की आबादी लगभग 35 से 40 हजार है. यातायात की सुविधा से परिपूर्ण होने के कारण मोहनिया को बिजनेस हब भी माना जाता है. वहीं, नगर पंचायत चुनाव 2022 में मतदाताओं की संख्या 21849 थी, हालांकि शहर में रहने वाले वैसे लोगों की संख्या भी अधिक है, जो ग्रामीण क्षेत्रों से आकर शहर में अपना घर बना कर रहे हैं. वहीं बहुत से वैसे लोग भी शामिल है, जो अनेक विभागों में कार्यरत है या फिर व्यापार की दृष्टि से मोहनिया शहर में रह रहे हैं और उनका नाम नगर पंचायत की मतदाता सूची में दर्ज नहीं है.

समस्या को लेकर नगर की सरकार भी बिल्कुल गंभीर नहीं

नगर पंचायत के वार्ड तीन व चार जो रेलवे लाइन से उत्तर डड़वा में है, उसको छोड़ दें तो अन्य 14 वार्डों की आबादी को अगलगी जैसी घटना होने पर बड़ी त्रासदी का सामना करना पड़ सकता है. जबकि, इस गंभीर समस्या को लेकर नगर की सरकार भी बिल्कुल गंभीर नहीं है. यदि जिला मुख्यालय से भी दमकल की बड़ी गाड़ियां मंगवाया जायेगा, तो उसे भी 14 किमी की दूरी तय कर नगर पंचायत पहुंचना पड़ेगा

बनने के कुछ वर्षों बाद ही आरओबी में आने लगीं खामियां

मोहनिया- रामगढ़ पथ पर डड़वा में बने आरओबी 60 का निर्माण कार्य वर्ष 2010-11 में पूर्ण हो गया था. इसके बनने के कुछ वर्ष बाद ही ओवरब्रिज के मध्य भाग जिसे रेलवे की देखरेख में बनाया गया है, उसमें खराबी आनी शुरु हो गयी थी. इसके बीच वाले हिस्से में पूर्व में कई बार रिपेयरिंग भी कराया जा चुका है. इसके बावजूद आरओबी में क्रेक आना इसके निर्माण पर कई तरह के सवाल खड़ा करता है. इतना ही नहीं कैमूर में जितने भी आरओबी बनाये गये हैं, लगभग सभी क्षतिग्रस्त होने के कलंक का टीका अपने माथे पर लगा चुके हैं. सबसे खास बात तो यह है कि इसके निर्माण में कहां चूक हुई या किसकी लापरवाही से निर्माण के गुणवत्ता में कमी आयी, इसके दोषियों पर जांच व कार्रवाई भी नहीं हो रही है.

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बोले शहर के लोग

  • शहर के शहीद मार्केट के रहने वाले कपड़ा व्यवसायी मो हैदर नवाज ने कहा शहर में अगलगी की घटना जैसी त्रासदी से बचने के लिए आज कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है. ओवरब्रिज क्षतिग्रस्त होने व भारी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के लिए ओवरहाइट बैरियर लगा कर विभाग भूल गया है कि यदि शहर में आग लगती है तो फायर ब्रिगेड की बड़ी दमकल गाड़ी भी नहीं जा सकती. जबकि आज भी सवारियों से भरी मिनी बसें इसी ओवरब्रिज से बस स्टैंड तक पहुंचती है, सुरक्षा की दृष्टि से ओवरहाइट बैरियर लगाना जरूरी तो था, लेकिन लगा कर भूल जाना या उसे दुरुस्त कराने की पहल नहीं करना किसी भी तरह से ठीक नहीं है.

  • नगर के सबसे बड़े वार्ड स्टूवरगंज के रहने वाले युवा कपड़ा व्यवसायी विश्वनाथ प्रसाद जायसवाल उर्फ लल्ली कहते हैं कि डड़वा ओवरब्रिज बनने के कुछ वर्षों बाद ही क्षतिग्रस्त होने लगा था. आज लगभग डेढ़ महीना से विभाग ने क्षतिग्रस्त का बोर्ड लगा कर ओवरहाइट बैरियर लगा दिया है, जबकि फायर स्टेशन डड़वा में स्थित है. यदि शहर के 14 वार्डों में कहीं भी आग लगती है, तो दमकल की बड़ी गाड़ी नहीं पहुंच सकेगी. तब तक शहर जलकर राख हो जायेगा. समय रहते प्रशासन को इस गंभीर समस्या पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह मामला हजारों लोगों के जीवन से जुड़ा है.

  • एमए की छात्रा अंजू कुमारी कहती हैं कि नगर पंचायत एक घनी आबादी वाला क्षेत्र है, यदि किसी कारणवश एक घर में आग लगेगी, तो देखते ही देखते चंद समय में पूरा वार्ड भी आग की चपेट में आ सकता है. यदि पुल क्षतिग्रस्त हो गया है, तो विभाग को उसकी मरम्मत का कार्य शुरू करना चाहिए न कि महीनों से ओवर हाइट बैरियर लगाकर भूल जाना. मैं इसके लिए डीएम, सांसद, विधायक व नगर सरकार से मांग करता हूं कि वे इस पर अविलंब विचार कर इसका समाधान निकालें, ताकि अगलगी जैसी घटनाओं से निबटने के लिए फायर ब्रिगेड की बड़ी दमकल गाड़ी शहर में पहुंच सकें.

  • अधिवक्ता अरुण सिंह ने कहा कि आरओबी का जो भाग क्षतिग्रस्त हुआ है नि:संदेह इसके निर्माण में अनियमितता बरती गयी है. दुर्भाग्य है कि कैमूर में बने अब तक तीन आरओबी पर क्षतिग्रस्त होने का बोर्ड लगाया जा चुका है, जिसमें डड़वा व मोहनिया-पटना पथ के आरओबी से सबसे अधिक वाहनों का आवागमन होता था. यहां वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध लगा कर छोड़ दिया गया है, इसकी जांच होनी चाहिए. फायर स्टेशन नगर पंचायत में ही स्थित होने के बावजूद वहां से दमकल गाड़ी को चांदनी चौक पहुंचने में महज पांच मिनट के बदले ओवरहाइट बैरियर लगाने से एक किमी की बजाय 60 किमी दूरी तय कर जबतक दमकल की बड़ी गाड़ी शहर में पहुंचेगी, तब तक कुछ नहीं बचेगा. इस पर शासन व प्रशासन के लोगों को सबसे पहले विचार करने की जरूरत है.

बोले अधिकारी

इस संबंध में पूछे जाने पर अनुमंडलीय अग्निशमन अधिकारी जगदीश राम ने कहा कि डड़वा में ओवरहाइट बैरियर लगाने से दमकल की बड़ी गाड़ी चांदनी चौक नहीं जा सकती है. यदि शहर में अगलगी की घटना होती है, तो दमकल की छोटी गाड़ी का सहारा लेना पड़ेगा या फिर दमकल की बड़ी गाड़ी को फायर स्टेशन से रामगढ़ व दुर्गावती होते मोहनिया पहुंचना पड़ेगा. इस तरह एक किमी के बदले लगभग 60 की अधिक दूरी तय करनी पड़ेगी. इसके लिए हम एसडीएम को पत्र लिख चुके हैं. डीएम साहब व रेल विभाग के वरीय अधिकारी को भी पत्र लिखेंगे.

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