पटना. गांधी मैदान थाना क्षेत्र के एग्जिबिशन रोड चौराहे पर अहले सुबह साढ़े छह बजे के करीब एक तेज रफ्तार बस ने साइकिल सवार युवती को रौंद दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गयी. मृतका की पहचान निशा कुमारी के रूप में हुई है, जो राजेंद्र नगर रोड नंबर दो स्थित अनाथालय बाल निकेतन में रहती थी. निशा बिजली विभाग के कॉल सेंटर में कॉल एक्जीक्यूटिव थी. रोज की तरह वह रविवार को साइकिल से राजवंशी नगर बीएसइबी कालोनी स्थित अपने ऑफिस जा रही थी. जैसे ही वह एग्जिबिशन रोड चौराहे पर पहुंची कि तेज रफ्तार बस ने निशा को धक्का मार दिया और भागने के क्रम में सड़क पर गिरी युवती के सिर पर ही चक्का चढ़ा दिया. बस का चक्का चढ़ने से निशा की मौके पर ही मौत हो गयी. जिस वक्त हादसा हुआ उस दौरान सड़क पर काफी कम लोग थे. एक ने बस को भागते हुए देखा और पीछा करने की कोशिश भी की, लेकिन तब तक वह फरार हो गया.
आक्रोशितों ने सड़क पर आगजनी कर किया हंगामा
इस दर्दनाक घटना के बाद स्थानीय लोग व सहकर्मियों ने हंगामा शुरू कर दिया. सड़क पर आगजनी कर दोषी बस चालक की गिरफ्तारी व सख्त कार्रवाई करने की मांग करने लगे. सूचना मिलते ही मौके पर गांधी मैदान व कोतवाली थाने की पुलिस पहुंच गयी. जिस प्रत्यक्षदर्शी ने बस का कुछ दूर तक पीछा किया उसने पुलिस को बताया कि भागने के चक्कर में बस चालक ने युवती को रौंदा है. जब तक वह उठती उसके सिर पर ही चक्का चढ़ गया. घटना के दौरान गांधी मैदान ट्रैफिक थाने की पुलिस भी पहुंच गयी. बस पटना जंक्शन से गांधी मैदान की तरफ जा रही थी. गांधी मैदान ट्रैफिक थाने के थानेदार अशोक कुमार ने कहा कि अनाथालय के कर्मी राजेंद्र प्रसाद के बयान पर अज्ञात बस चालक पर केस किया गया है. बस को जब्त कर लिया गया है. मामले की जांच की जा रही है.
एंबुलेंस-एंबुलेंस चिल्लाते रहे, तीन घंटे बाद आया, तब तक हो चुकी थी मौत
निशा का मुंहबोला भाई और सहकर्मी अनिकेत ने बताया कि घटना के बाद हमलोगों को जानकारी मिली. एंबुलेंस-एंबुलेंस चिल्लाते रहे, लेकिन तीन घंटे बाद जब एंबुलेंस आया तब तक निशा की मौत हो चुकी थी. निशा मेरी बहन जैसी थी और सबकुछ अपने दम पर प्राप्त किया था. चार साल से हमलोगों के साथ नौकरी कर रही थी. ऑफिस में काम करने वाले प्रवीण ने बताया कि मैं भी कॉल सेंटर में काम करने एग्जीविशन रोड चौराहा से होते जा रहा था. भीड़ लगा देख मैं रुक कर देखने गया, जैसे चेहरा देखा तो मेरे होश उड़ गये. मैंने तुरंत इस बात की जानकारी सभी को दी.
एक साल की उम्र में आयी थी अनाथालय, पढ़ाई में थी टॉपर
निशा पढ़ने में बहुत ही तेज थी. वह खुद जो पढ़ती थी उसे दूसरे बच्चों को भी पढ़ाती थी. बच्चों को अच्छी-अच्छी बातें बता कर प्रेरित करती थी. पिछले महीने ही उसने कम्प्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन किया था. अब आगे की तैयारी कर रही थी और आइटी सेक्टर में जाने का मन बना रही थी. कोर्ट के आदेश के बाद साल 1991-92 में निशा को एक साल की उम्र में राजेंद्र नगर रोड नंबर दो स्थित किशोर दल के अनाथालय बाल निकेतन को सौंपा गया था. अनाथालय की कोऑर्डिनेटर व सेवानिवृत शिक्षिका लीना मिश्रा ने कहा कि अभी तक हमलोगों को विश्वास नहीं हो रहा है कि निशा अब हमलोगों के बीच नहीं रही.
जहां घटना हुई वहां लगे थे चार कैमरे, पर रिकॉर्ड कुछ भी नहीं
पुलिस सूत्रों के अनुसार जब ट्रैफिक पुलिस मौके पर पहुंच चौराहे पर जांच शुरू की तो पता चला कि कैमरा में कुछ रिकॉर्ड ही नहीं हुआ. इसके बाद पुलिस धीरे-धीरे अन्य जगहों के कैमरों की जांच करनी शुरू कर दी. जब कैमरा से कोई भी जानकारी नहीं मिल पायी तो ट्रैफिक पुलिस की टीम बैरिया बस स्टैंड पहुंच गयी. सूत्र ने बताया कि घंटों जांच के बाद बस के आगे के हिस्से में ताजा डेंट के आधार पर एक बस को पकड़ लिया. मालूम हो कि पूरे शहर में लगे एडवांस कैमरों की मदद से लोगों को इ-चालान काटा जा रहा है. कैमरे से लिये फोटो से हेलमेट नहीं पहने वालों को जुर्माना भरना पड़ रहा है, लेकिन सड़क दुर्घटना में कैमरे की जद में दुर्घटना वाले वाहन का नहीं आना बड़ा सवाल है.