गया. विंध्य श्रेणी की पर्वत शृंखलाओं से घिरा वैदिक काल का कीकट प्रदेश. बाद का बिहार और आज का गया जिला विश्व के प्राचीन शहरों में एक है. यहां के ब्रम्हयोनि पर्वत इसके प्राचीनता का गवाह है. भौगोलिक सर्वेक्षण के अनुसार व जांच से यह पता चला कि यह पर्वत हिमालय से छह हजार वर्ष से अधिक पुरानी है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कभी ब्रह्मा ने इस पर्वत पर बैठ कर सृष्टि का निर्माण किया था.
महाभारत के वन पर्व 84 से 95 में वर्णित है कि ब्रम्हयोनि का नाम पवित्र कूट में था. इस पर्वत की तराई में बनी कपिल मुनि का आश्रम व भस्म कूट पर्वत पर स्थित मां मंगला गौरी मंदिर इसके पौराणिक साक्ष्य जुटा रहे है. भगवान विष्णु ने गयासुर के सीने पर चरण रखकर मानव मुक्ति के द्वार खोले है. शैव शाक्त मत का उदय भी इसी धरती पर हुआ. सिद्धार्थ को बुद्धत्व की प्राप्ति भी इस धरती पर हुई और वे भगवान बुध कहलाये.
प्राचीन ऋषियों में लोमस व्यास, परासर दुर्वासा, श्रृंगी च्यवन, बाल्मीकि, कपिल मुनि, मार्कण्डेय के अलावा चैतन्य महाप्रभु, राम कृष्ण परमहंश ने अपनी ज्ञान ज्योति से इसे लौकिक किया. भगवान महावीर की यह ज्ञान और तपोभूमि रही है. फल्गु नदी यहां की सभ्यता व संस्कृति का एहसास कराती है. यहां की सभ्यता व संस्कृति न केवल भारत बल्कि रूस, चीन, कम्बोडिया, जापान, वियतनाम, श्रीलंका व नेपाल को भी अपने सांस्कृतिक प्रकाश से दिव्यमान किया है. गया की धरती साधको मुनियों व ज्ञानियों की रही है.
वहीं दूसरी ओर ऐतिहासिकता में अशोक जैसा सम्राट, चाणक्य जैसा कूटनीतिज्ञ, आर्यभट्ट जैसा वैज्ञानिक, अजातशत्रु व चंदरगुप्त जैसा महान शासक, जरासंध जैसा महाबलशाली, साहित्यकारों में शहरपाद, विमलपाद, बराह, रूचि, पानीनी, पिंगला यहीं के थे. स्वतंत्रता सेनानियों में बाबू खुशियाल सिंह, श्याम बर्थवार, यदुनंदन शर्मा, केशव प्रसाद, विश्वनाथ माथुर का नाम उल्लेखनीय है.
वैदिक काल का कीकट प्रदेश बाद का बिहार 1757 में बक्सर के पास जमीदारों की फौज व ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुए संघर्ष में जमींदार व नवाब हारे. फलस्वरूप बिहार बंगाल में राजस्व वसूली के लिए कोई मूल भूत ढांचा नहीं था. नयी व्यवस्था के तहत सात जिलों का सृजन किया गया. सात नये कलक्टर बनाये गये. पहला जिला बिहार बना. जिसका मुख्यालय आज का गया को बनाया गया. थामस लॉ कलक्टर बनाये गये.
दुसरा जिला शाहाबाद बना. इसका मुख्यालय आरा को बनाया गया. तीसरा जिला सारण बना इसका मुख्यालय छपरा को बनाया गया. चौथा जिला तिरहुत को बनाया गया. इसका मुख्यालय मुजफ्फरपूर बना. पांचवां जिला भागलपुर बना. इसका मुख्यालय भागलपुर में ही रखा गया. छठा जिला रामगढ़ बना. इसका मुख्यालय रामगढ़ में ही बना व सातवां जिला उड़ीसा बना. इसका मुख्यालय कटक में बनाया गया.
1757 से लेकर 1864 तक वैदिक काल का कीकट प्रदेश की पहचान बिहार के रूप में बनी रही जो आज गया जिला के नाम से जाना जाता है. विश्व में सबसे पहले किसान राज्य की स्थापना की गयी. भले ही वह कुछ ही दिनों तक चला पर इस विद्रोह ने ब्रिटिश शाशन की नींव हिला दी. इस संघर्ष से जुड़े 70 लोगों को कालापानी की सजा दी गयी. 35 लोगों को पेड़ में लटकाकर फांसी के फंदे से झुलाया गया.
1757 से राजस्व वसूली के उद्देश्य से बनाये गये सात जिलों में बिहार को जिला का दर्जा मिला. इसका प्रतिनिधित्व करने का गौरव आज के गया जिला को मिला था. ब्रिटिश हुकूमत ने बाबू खुसियाल सिंह के विद्रोह से घबराकर 03 अक्तूबर 1865 को बिहार का नाम बदलकर गया जिला बनाया. इसका मुख्यालय गया जिला में ही बना रहा. धार्मिक, ऐतिहासिक, पौराणिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक व साहित्यिक गाथाओं को संजोये गया जिला का शनिवार को स्थापना दिवस मनाया गया.
posted by ashish jha