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बरसात में घुटने भर पानी में गुजरते थे ग्रामीण, सरकार नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने श्रमदान कर बना डाली सड़क

बिना किसी सरकारी सहायता के वर्षों से उपेक्षित पड़े रास्ते को ग्रामीणों ने अपनी जमीन ही नहीं दी, बल्कि श्रमदान भी करके दो फुट ऊंची तथा करीब एक हजार फुट लंबी सड़क बना डाली.

बरौली. बिना किसी सरकारी सहायता के वर्षों से उपेक्षित पड़े रास्ते को ग्रामीणों ने अपनी जमीन ही नहीं दी, बल्कि श्रमदान भी करके दो फुट ऊंची तथा करीब एक हजार फुट लंबी सड़क बना डाली.

यह सड़क सिधवलिया प्रखंड के बखरौर प्रा.वि. तथा अस्पताल के पास से निकल कर बखरौर पूरब टोला को अब जोड़ने का काम कर रही है. इससे पहले यहां पुरखों के जमाने से केवल देहाती पगडंडी के सहारे पैदल, साइकिल या बाइक सवार गुजरते थे, चरपहिया तो कभी गयी ही नहीं.

बरसात में केवल बहुत जरूरी होता था तब ग्रामीण अपने घरों से घुटने भर पानी पार कर निकलते थे तथा बाजार आदि जाते थे.

वर्षों से इस समस्या से जूझते देख दीपक शास्त्री ने पहल की तथा ग्रामीणों को इकट्ठा कर उनसे जमीन देने का आग्रह किया, जिसे सभी ने स्वीकार किया. इतना ही नहीं, ग्रामीण श्रमदान के लिए भी तैयार हो गये और सड़क बननी शुरू हो गयी.

एक बार काम शुरू हो गया तो धीरे-धीरे गांव के सभी ग्रामीण इसमें सहयोग करने लगे. जो श्रमदान नहीं कर सकते थे, उन्होंनें रुपये-पैसे से सहयोग किया.

इस कार्य में वीरेंद्र कुंवर, चुनचुन कुंवर, लवजी कुंवर, सुरेंद्र कुंवर, विजयी पांडेय, गिरीशदेव मिश्र, यमुना सिंह, अमरकांत कुंवर आदि ने अपनी कीमती जमीन सड़क बनाने को दी, दीपक शास्त्री ने ईंटें दी. वहीं पंचायत के मुखिया संतोष पटेल ने आर्थिक सहयोग किया.

सड़क बन जाने से करीब एक सौ घर अब सीधे मुख्य सड़क से जुड़ गये हैं तथा चरपहिया सहित अन्य गाड़ियों के आवागमन में परेशानी नहीं है. सड़क बन जाने से ग्रामीणों में खुशी है.

Posted by Ashish Jha

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