Buxar News: संत श्रीमाली जी की स्मृति में हुआ प्रिया-प्रियतम मिलन महोत्सव का श्रीगणेश
Buxar News: नई बाजार स्थित श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में शनिवार को 17 वें प्रिया-प्रियतम मिलन महोत्सव का शुभारंभ हो गया
बक्सर.
नई बाजार स्थित श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में शनिवार को 17 वें प्रिया-प्रियतम मिलन महोत्सव का शुभारंभ हो गया. इसी के साथ ही वहां का माहौल भक्तिमय हो गया है.भक्तिमय हुआ सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम का माहौल
साकेतवासी संत नेहनिधि श्रीनारायणदास जी भक्तमाली उपाख्य मामाजी के निर्वाण तिथि पर हर वर्ष प्रिया-प्रियतम मिलन महोत्सव का आयोजन किया जाता है. श्री विग्रह अर्चन, पादुका पूजन व समष्टि भंडारे के साथ 15 फरवरी को महोत्सव का समापन होगा. देश के उच्च कोटि के संतों में संत श्री भक्तमाली जी का अहम स्थान था. जिन्हें धर्माचार्य व साधु-संत आदर के साथ मामाजी के रिश्ते से संबोधन करते थे. विश्व प्रसिद्ध सिय-पिय मिलन महोत्सव के प्रणेता के रूप में सीताराम विवाह को लेकर उनकी ख्याति देश दुनिया में थी.अत्यंत कठिन है सरल होना : पुंडरीक जी महारज
महोत्सव में काशी से पधारे भागवत भूषण डॉ. पुण्डरीक शास्त्री जी महाराज के श्रीमुख से श्रीमद्भागवत कथा का श्रीगणेश हुआ. व्यास पीठ की पूजन कर कथा का शुभारंभ सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम के महंत श्री राजाराम शरण दास जी द्वारा कराया गया. कथा का वैष्णवता क्या है. वैष्णवता का मतलब है सरलता. कठिन होना सहज है लेकिन सरल होना अत्यंत कठिन है. सरल शब्द को विस्तारित करते हुए महाराज श्री ने कहा कि स से सीता, र से राम व ल से लक्ष्मण होता है. सरलता बड़ा ही मुश्किल है. पूज्य संत मामाजी की सरलता व गुरुता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी स्मृति में कथा सुनाना किसी के लिए सौभाग्य की बात है. जो उन्हें आश्रम के महंत श्री राजाराम शरण जी की कृपा से प्राप्त हुआ. कथा को विस्तार देते हुए आचार्य श्री ने कहा कि कृष्ण की भक्ति भाव से भावित मती में भक्ति होना जरूरी है. जीवन में भगवान से मिलने की लालसा हो जाए तो भक्त की इच्छा अवश्य पूर्ण होती है. संसार में तीन चीजें बड़ी मुश्किल से मिलती है. मनुस्यत्व. यानि मानव का संपूर्ण गुण.
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