अनिकेत त्रिवेदी, पटना . बिहार फेक या अन्य किसी एनकाउंटर के लिए शुरू से बदनाम नहीं रहा है़ मगर, बीते दशकों में कुछ ऐसी एनकाउंटर की घटनाएं हुई हैं, जिनकी गूंज बहुत लंबे समय तक रही है़ बिहार पुलिस के ही आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2001 से लेकर 2005 तक राज्य में हर वर्ष लगभग 32 के औसत से पुलिस द्वारा एनकाउंटर की घटना को अंजाम दिया गया़ इस दौरान लगभग 30 के औसत से प्रति वर्ष अपराधी एनकाउंटर मारे गये़
वहीं, अब वर्ष 2015 से वर्ष 2020 तक के आंकड़ों को देखा जाता है, तो बात बिल्कुल उलट जाती है़ आंकड़े बताते हैं कि इन वर्षों में मात्र पांच की औसत से प्रति वर्ष एनकाउंटर की घटना घटी है़ वहीं, इन वर्षों में छह के औसत ने इन घटनाओं में अपराधी मारे गये हैं.
प्रभात खबर ने इन आंकड़ों को लेकर मानवाधिकार को लेकर काम करे रहे व हाइकोर्ट के वकील बसंत चौधरी से बात की़ बसंत चौधरी के अनुसार राज्य में कुछ दशक पहले नक्सलियों के नाम पर काफी एनकाउंटर हुए हैं. इसके अलावा पटना सहित राज्य के अन्य जिलों में पहले कुछ ऐसे पुलिस अफसर भी रहे हैं जो हैप्पी ट्रिगर यानी एनकाउंटर करने के लिए जाने गये थे़ अब ऐसे दोनों मामलों में कमी आयी है़
वहीं, हाइकोर्ट में मानवाधिकार मामले के वकील अरुण कुमार कहते हैं कि मसला यह भी है कि अब आम लोगों से लेकर आरोपितों तक कानून को लेकर जागरूता बढ़ी है़ कोई छोटी घटना भी छुप नहीं पाती़
बिहार पुलिस की ओर से इस वर्ष जनवरी व फरवरी माह के अपराध का डेटा जारी किया गया है़ राज्य में हत्या के आंकड़े स्थिर हैं. बीते वर्ष जनवरी में 220 और फरवरी में 218 हत्या के मामले दर्ज किये गये थे, जबकि इस वर्ष भी जनवरी में 194 और फरवरी में 220 मामले दर्ज हुए हैं. मगर, राज्य में चोरी की घटनाएं बढ़ी हैं.
बीते वर्ष जनवरी माह में 2930 और फरवरी माह में 2947 घटनाएं दर्ज की गयी थीं, जबकि इस वर्ष जनवरी में 3294 और फरवरी में 3217 मामले दर्ज किये गये हैं. उसी प्रकार बीते वर्ष जनवरी माह में 88 और फरवरी माह में 105 रेप की घटनाएं दर्ज की गयी थीं, जबकि इस वर्ष जनवरी में 182 और फरवरी में 192 रेप के मामले दर्ज किये गये हैं,जो बीते वर्ष से अधिक हैं.
रेंज अपराध
केंद्रीय 7021
तिरहुत 5122
मगध 4590
सारण 4415
शाहाबाद 4112
चंपारण 3640
मिथिला 3352
पूर्णिया 3126
पूर्वी 2258
कोसी 2028
मुंगेर 1990
बेगूसराय 1678
रेल रेंज 484
Posted by Ashish Jha