कोरोना काल में लॉकडाउन की वजह से जब लोगों के रोजगार छिन गए,नौकरियां चली गईं तब ये मांग उठने लगी कि सरकार आयकर में छूट दे. बिहार सरकार ने नौकरीपेशा और कारोबरियों की मांग पर ध्यान देते हुए तब आयकर संग्रह का लक्ष्य कम कम कर उसे 10 हजार करोड़ कर दिया था. 2019 में आयकर संग्रह का लक्ष्य 12 हजार करोड़ था जबकि 2020-21 में ये मात्र 10 हजार करोड़ निर्धारित हुआ.
अर्थशास्त्रियों का अनुमान था कि भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहे बाजार से 10 हजार करोड़ के लक्ष्य को छूना आसान नहीं होगा. लेकिन अब एक हैरान करने वाला आंकड़ा सामने आया है. कोरोना काल में आयकर संग्रह अपने तय लक्ष्य को पार कर गया है.बिहार में कोरोना की तीन चरणों की लहर के बावजूद आयकर संग्रह में उछाल आया है. इससे पता चलता है कि आयकर संग्रह का लक्ष्य तय करने में राज्य की सरकार ने दरियादिली दिखाई थी,या फिर सरकार ये अनुमान लगाने में विफल रही कि चरणवार कोरोना काल में लोगों की आय कितनी कम हुई है.
सरकार के तय लक्ष्य 10 हजार करोड़ के मुकाबले 2020-21 में 10 हजार 5 सौ करोड़ का कर संग्रह हुआ है. हलांकि ये पहली बार नहीं है कि कर संग्रह तय लक्ष्य के मुकाबले अधिक हुआ हो. इससे पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है. लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि करोना से ध्वस्त हुई अर्थव्यवस्था के बीच लगातार कर संग्रह ने अपने लक्ष्य को पार किया है.वित्तीय वर्ष 2021-22 में तो रिकॉर्ड कर संग्रह हुआ है. इस वित्तीय वर्ष में सरकार ने 12 हजार 200 करोड़ का लक्ष्य निर्धारित किया था. जबकि कुल कर संग्रह 14 हजार 600 करोड़ रुपया हुआ है. पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले यह चार हजार करोड़ ज्यादा है. इसमें कॉरपोरेट टैक्स की भागीदारी साढ़े चार हजार करोड़ की है.
सरकार ने कोरोना के दौरान कर वसूली को रोक दिया था और जैसे ही स्थितियां सामान्य होने लगीं टैक्स वसूली तेज कर दी गई.
राज्य में आधारभूत संरचना का पर काफी काम चल रहा है. इन परियोजनाओं का काम करने वाली कंपनियों से टीडीएस के रूप में सरकार को काफी टैक्स मिल रहा है.
राज्य में बढ़ती आबादी के साथ आयकर देने वालों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. प्रत्यक्ष कर देने वालों की संख्या 12 लाख से बढ़ कर अब 14 लाख हो गई है.
होटल, रिटेल, कंसट्रक्शन और आधारभूत संरचना से जुड़े क्षेत्र में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इससे भी राज्य के कर संग्रह को फायदा हुआ है.
सरकारी नौकरी करने वालों के सर्विस टैक्स से सरकार को सर्वाधिक कमाई हुई है. कुल कर का 65 फीसदी अकेले सरकारी नौकरी करने वालों से प्राप्त हुआ है