बिहार के सासाराम जिले से बड़ी खबर सामने आ रही है. इन दिनों सासाराम में लंपी वायरस पशुओं पर कहर बनकर टूट रहा है. इससे सबसे अधिक गाय प्रभावित हो रही हैं. हालांकि, यह वायरस सासाराम में अब तक कोई प्रभाव नहीं छोड़ा है. लेकिन, राज्य के अन्य जिलों में धीरे-धीरे यह वायरस अपना पांव पसारने लगा है, तो वहीं देश के राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में लंपी वायरस ने भयंकर तबाही मचायी है. अब तक करीब 75 हजार से अधिक पशु लंपी स्किन डिजीज की चपेट में आकर मर चुके हैं. इस स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन व पशुपालन विभाग अलर्ट मोड में हो गया है, जहां उन्हें जिले के करीब नौ लाख पशुधनों को बचाने की बड़ी चुनौती होगी.
एक्सपटर्स के अनुसार, लंपी एक वायरल डिजीज है, यानी यह बीमारी एक संक्रामक रोग विषाणु जनित बीमारी है. इस रोग का संचरण, फैलाव, प्रसार पशुओं में मक्खी, चिचड़ी एवं मच्छरों के काटने से होता है. वहीं संक्रमित पशुओं से अन्य पशुओं में बेहद तेजी से फैलती है. इस बीमारी से संक्रमित पशुओ में हल्का बुखार हो जाता है. इससे ग्रसित हो जाने पर पशुओं के शरीर पर जगह-जगह नोड्यूल-गांठें ऊभर आती हैं. इस वायरस से ग्रसित पशुओं को तत्काल इलाज व बचाव की जरूरत होती है, अन्यथा गंभीर होने पर पशु की मौत हो जाती है. पशुओं की मृत्यु दर अनुमान करीब पांच प्रतिशत होता है.
विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, यदि पशु इस वायरस बीमारी से ग्रसित हो गया है, तो उसे स्वस्थ पशुओं से अलग रखें. साथ ही पशुओं को मक्खी, चिचड़ी और मच्छर के काटने से बचाने की दिशा में काम करें. यहीं नहीं, पशुशाला की साफ -सफाई दैनिक रूप से करें और डिसइन्फेक्शन का स्प्रे करते रहें. संक्रमित पशुओं को खाने के लिए संतुलित आहार तथा हरा चारा दें. अगर इस बीमारी से किसी की मौत हो जाती है तो मृत पशुओं के शव को गहरे गड्ढे में दबा दें.
जिले में लंपी वायरस के अब तक मामला सामने नहीं आया है, लेकिन इस लंपी वायरस को लेकर विभाग पूरी सजग व तैयार है. जागरूकता अभियान चलायी जा रही है. जिसमें पशुपालकों को इस वायरस से पशुओं को बचाव, रोकथाम आदि के प्रति जागरूक किया जा रहा है. साथ ही पशुपालकों से अपील की जा रही है कि अपनी गायों में इस बीमारी का लक्षण दिखे तो वह तत्काल पशु चिकित्सा विभाग को सूचित करें, ताकि समय से इलाज किया जा सके. – डॉ दिवाकर प्रसाद, जिला पशुपालन पदाधिकारी.