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बिहार के सुखासन गांव में मिट्टी से तैयार किया गया था नमक, गढ़पुरा के भी नमक सत्याग्रह स्थल को जानिए

Independence Day 2023: भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में बिहार का महत्वपूर्ण योगदान है. बिहार के लोगों ने आजादी के आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था. कई लोग फांसी पर चढ़ गये थे. बिहार के सुखासन गांव में मिट्टी से नमक तैयार किया गया था.

Independence Day 2023: बिहार के लोगों ने भी आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था. पांच मई 1930 को गांधीजी के नमक सत्याग्रह आंदोलन के तहत मधेपुरा अनुमंडल से दक्षिण सुखासन गांव में राम बहादुर सिंह, सूबालाल यादव, शिवनंदन मंडल, यशोधर झा, कुंज बिहारी लाल दास, शिवदन सिंह, मुरलीधर सिंह समेत कई आंदोलनकारियों ने नमक तैयार कर नमक कानून भंग किया था. सूबालाल यादव ने नोनिया मिट्टी से नमक तैयार किया और इस नमक को लेकर मधेपुरा की ओर रवाना हो गये. यहां बड़ी संख्या में लोग इस आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए खड़े थे. इस बीच पुलिस ने धरपकड़ शुरू कर दी. तैयार नमक को पुलिस से बचाते हुए आंदोलनकारियों ने जमकर नारेबाजी की.

अपना नमक बनाकर अंग्रेजों को सिखाया सबक

लोगों द्वारा जमीन देने के बाद एक स्मारक बनाया गया. तत्कालीन सांसद शरद यादव ने सौंदर्यीकरण के लिए राशि दी थी. धीरे-धीरे यह स्मारक भग्नावशेष में तब्दील हो गया है. अंग्रेजों को अपनी ताकत महसूस कराने के लिए महात्मा गांधी के आह्वान पर मधेपुरा के दर्जनों देशभक्तों ने नमक कानून को भंग किया था. यहां सदर प्रखंड के सुखासन गांव के स्वतंत्रता सेनानियों ने नमक कानून को भंग करने के लिए नमक सत्याग्रह का आयोजन किया था. इन्होंने अपना नमक बनाकर अंग्रेजों को सबक सिखाने का फैसला किया था. कोसी क्षेत्र के रहने वाले देशभक्त नमक कानून को भंग करने के लिए सड़क पर आ गए थे. पांच मई 1930 को सुखासन गांव के रहने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी बाबूराम बहादूस सिंह ने वीर वाकुके नामक नमक कानून को भंग किया था.

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मिट्टी से नमक बनाकर किया बहिष्कार

स्वतंत्रता सेनानी बाबूराम बहादूस सिंह के नेतृत्व में कई लोगों ने कानून को भंग करने में अपना योगदान दिया. इसमें मधेपुरा के लाल ,बाबू सुब्बा लाल यादव, बाबू कुंज बिहारी लाल दास, बाबू यशोधर झा, बाबू मुरलीधर सिंह, बाबू महताब लाल यादव शामिल थे. इन लोगों ने मिट्टी से नमक तैयार किया और अंग्रेजों के नमक का बहिष्कार किया था. मिट्टी से नमक तैयार करने में बाबू सुब्बा लाल यादव ने महारत हासिल कर ली थी. इसलिए उनका इस आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान था.

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अंग्रेजी पुलिस ने गांव का किया था घेराव

नमक का कानून भंग होते ही अंग्रेज पुलिस स्थल पर आ गई थी. सैकड़ों की संख्या में पहुंची अंग्रेजी पुलिस ने गांव को घेर लिया था. साथ ही सत्याग्रह स्थल पर लाठी चला दी. इस दौरान कई आजादी के दीवाने घायल होगए थे. आयोजन समिति के अध्यक्ष बाबू राम बहादुर सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया था. इनकी गिरफ्तारी की खबर फैल गई. इसके बाद बड़ी संख्या में युवा मधेपुरा पहुंचने लगे.

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अंग्रेजी सत्ता को दी गई थी खुली चुनौती

बता दें कि गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ आम लोगों को एकजुट किया था. अंग्रेजी सत्ता को खुली चुनौती दी गई थी. साल 1930 में अंग्रेजी सरकार ने नमक पर कर लगा दिया था. इस कारण महात्मा गांधी ने इस कानून के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया था. भारत देश में अंग्रेजी शासन के दौरान नमक के उत्पादन और विक्रय के ऊपर बड़ी मात्रा में कर लगा दिया. भारत के लोगों को इस कानून से मुक्त कराने का प्रयास किया गया. कानून भंग करने के बाद सत्याग्रहियों ने अंग्रेजों की लाठियां भी खाई. इस आंदोलन में कई नेताओं की गिरफ्तारी हुई थी. भारतीयों को नमक सत्याग्रह के दौरान जेल में डाल दिया गया था. वहीं, मधेपुरा के सुखासन गांव में मिट्टी से नमक तैयार करके अंग्रेजों का विरोध हुआ था.

सुर्खियों में रहा है गढ़पुरा का नमक सत्याग्रह स्थल

स्वतंत्रता संग्राम में बेगूसराय का भी अहम योगदान रहा. तभी तो स्व बिहार केसरी डॉ श्रीकृष्ण सिंह ने गढ़पुरा गांव को नमक कानून भंग का केंद्र बनाया और बेगूसराय से पैदल चलकर जलते कड़ाह को पुलिस से छीना झपटी में अपने अंगों को जलाया था. कई गुमनाम लोगों ने इस संग्राम में भाग लेकर देशभक्ति का जज्बा दिखाया था. नमक कानून तोड़ने के लिए तत्कलीन मुंगेर जिले में पहला स्थान बेगूसराय का गढ़पुरा गांव चुना गया. यहां बिहार केसरी श्रीकृष्ण सिंह के द्वारा नमक बनाया गया. 20 अप्रैल 1930 को पुलिस से भारी झड़प के बाद नमक बनाया गया. हालांकि दो दिन बाद श्रीबाबू को गिरफ्तार कर लिया गया.

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