देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. 15 अगस्त 1947 यानी जिस दिन भारत को आजादी मिली थी. इस दिन इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज बिहार की राजधानी पटना में तिरंगा फहराने की कहानी भी काफी दिलचस्प है. उस गौरवपूर्ण घटना को लेेकर कला-संस्कृति एवं युवा विभाग के पूर्व सहायक निदेशक अरविंद महाजन बताते हैं कि 15 अगस्त 1948 को स्वतंत्रता दिवस की पहली वर्षगांठ बांकीपुर मैदान (लॉन) में मनाई गयी थी. इसी वर्ष बांकीपुर मैदान का नाम महात्मा गांधी के सम्मान में गांधी मैदान रखा गया. बिहार राज्य अभिलेखागार के रिकार्ड के अनुसार मुजफ्फरपुर जिले के शिक्षक विश्वनाथ प्रसाद चौधरी ने राज्य सरकार को चार अप्रैल 1948 को एक पत्र लिखकर पटना के बांकीपुर मैदान का नामकरण पूज्य बापू महात्मा गांधी के नाम पर करने का अनुरोध राज्य सरकार के प्रधान सचिव से किया गया था. उन्होंने बताया कि छह अप्रैल 1948 को आधिकारिक रूप में बांकीपुर मैदान का नामकरण बापू के सम्मान में पटना गांधी मैदान किया गया.
आदित्य जालान संग्रह के अनुसार पटना प्रशासन द्वारा स्वतंत्रता दिवस की पहली वर्षगांठ के लिए छपे सरकारी आमंत्रण पत्र को आदित्य जालान के परदादा दीवान बहादुर राधा कृष्ण जालान को भेजा गया था. पत्र में लिखा गया है कि जिलाधिकारी, पटना आग्रह करते हैं कि दीवान बहादुर राधा कृष्ण जालान 15 अगस्त (रविवार) को सुबह नौ बजे गांधी मैदान (बांकीपुर) में उपस्थित हो. जब बिहार के राज्यपाल स्वतंत्रता दिवस की पहली वर्षगांठ पर ध्वजारोहण करेंगे और सेना, पुलिस और होम गार्ड की एक संयुक्त परेड की सलामी लेंगे.
गांधीवादी प्रो. एस नारायण ने बताया कि 15 अगस्त 1948 को गांधी मैदान में सूबे के तत्कालीन राज्यपाल माधव श्रीहरि अणी ने राष्ट्रीय झंडा फहराया था. सेना, पुलिस और होम गार्ड की एक संयुक्त परेड की सलामी लिया था. समारोह में भाग लेने आये सभी लोगों ने खादी के वस्त्र और गांधी टोपी पहने हुए थे और समारोह के अंत हर लोगों के बीच लड्डू का वितरण किया गया था. नारायण ने बताया कि इस मौके पर 200 स्वतंत्रता सेनानी को सम्मान किया गया था और उन्हें समारोह को संबोधित करने का भी मौका दिया गया था.
गांधीवादी प्रो0 एस नारायण ने बताया कि आजादी की पहली सुबह पर भी सूबे में उत्साह और उमंग का माहौल था. उस वक्त भी सैकड़ों की भीड़ गांधी मैदान में जश्न मनाने के लिए जुटी थी. 15 अगस्त को प्रांतीय कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष महामाया प्रसाद सिन्हा (आरा निवासी) के नेतृत्व में बांकीपुर मैदान (अब गांधी मैदान)में राष्ट्रीय झंडा फहराया गया था. इसके लिए आसपास के चौकी का स्टेज बनाया गया था. इसमें बड़ी संख्या में युवाओं ने भाग लिया था. इसके कुछ घंटे बाद दिल्ली से टेलीग्राम आने के बाद सरकारी स्तर पर झंडातोलन का कार्यक्रम दोपहर को विधानसभा के सामने आयोजित किया गया, क्योंकि दोबारा बांकीपुर मैदान में तिरंगा नहीं फहराया जा सकता था. इसलिए विचार-विमर्श के बाद विधानसभा के पास आयोजित किया गया. जयरामदास दौलतराम बिहार के राज्यपाल नियुक्त हुए थे. उन्होंने 14-15 अगस्त की अर्द्धरात्रि में पद की शपथ ली थी.