पटना में दिसंबर तक खुल जायेगा भारत का पहला नेशनल डॉल्फिन रिसर्च सेंटर, इन देशों के वैज्ञानिक करेंगे शोध
जी प्लस टू की इस बिल्डिंग को भवन निर्माण विभाग की ओर से नवंबर के आखिर तक निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा है. करीब 30 करोड़ की लागत से इसे तैयार किया जा रहा है, जिसका उद्घाटन दिसंबर में किया जायेगा.
पटना. विलुप्त हो रहे गांगेय डॉल्फिन पर रिसर्च के लिए पटना में गंगा नदी के किनारे स्थित पटना यूनिवर्सिटी के लॉ कॉलेज के पास ढाई एकड़ जमीन पर नेशनल डॉल्फिन रिसर्च सेंटर का निर्माण कार्य चल रहा है. जी प्लस टू की इस बिल्डिंग को भवन निर्माण विभाग की ओर से नवंबर के आखिर तक निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा है. करीब 30 करोड़ की लागत से इसे तैयार किया जा रहा है, जिसका उद्घाटन दिसंबर में किया जायेगा.
पर्यावरण एवं वन जलवायु परिवर्तन विभाग को मिली जिम्मेदारी
इस रिसर्च सेंटर की बिल्डिंग में ऑडिटोरियम, लाइब्रेरी, रिसर्च लैब के साथ पीयू के पीजी इन्वायरमेंटल साइंस के स्टूडेंट पढ़ेंगे. इस सेंटर की जिम्मेदारी पर्यावरण एवं वन जलवायु परिवर्तन विभाग को मिली है, जिसमें पटना यूनिवर्सिटी भी शामिल है. इस सेंटर के लिए 22 सदस्यीय अधिकारियों की कमेटी बनायी गयी है, जिसमें अध्यक्ष पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री, पीयू के वीसी उपाध्यक्ष समेत अंतरिम डायरेक्टर होंगे.
पटना यूनिवर्सिटी के छात्रों को डॉल्फिन पर रिसर्च करने का मिलेगा मौका
इस नेशनल डॉल्फिन रिसर्च सेंटर में पटना यूनिवर्सिटी के पीजी इन्वायरमेंटल साइंस विभाग को यहीं शिफ्ट किया जायेगा. इससे यहां स्टूडेंट यहां पर शोध कार्य का हिस्सा बनने के साथ कई महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल करेंगे. बिहार में डॉल्फिन बड़ी संख्या में देखी जाती हैं. ऐसे में देश के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ विदेश के लोगों को भी डॉल्फिन पर रिसर्च करने का मौका यहां मिलेगा. वहीं यूनिवर्सिटी की जमीन पर सेंटर निर्माण होने से इसका फायदा यूनिवर्सिटी के छात्रों को सीधे मिलेगा. यूनिवर्सिटी के छात्रों को डॉल्फिन पर शोध करने का मौका मिलेगा.
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विभिन्न आयामों पर राष्ट्रीय स्तर पर होगा रिसर्च
नेशनल डॉल्फिन रिसर्च सेंटर के अंतरिम डायरेक्टर और जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डॉल्फिन विशेषज्ञ डॉ गोपाल शर्मा ने कहा कि दिसंबर के पहले हफ्ते में इसका उद्घाटन वन एवं पर्यावरण विभाग के माननीय मंत्री के द्वारा संभावित है. मुख्यमंत्री भी इसका उद्घाटन कर सकते हैं. उद्घाटन के बाद यहां पर राष्ट्रीय स्तर का शोध कार्य शुरू होगा. कहां-कहां डॉल्फिन का सेंसस होना है.
इन विषयों पर होगा शोध
गांगेय डॉल्फिन विलुप्त न हो, इसके लिए पटना में डॉल्फिन के सरंक्षण और प्रबंधन के लिए डॉल्फिन रिसर्च सेंटर बहुत उपयोगी होगा. इकोलॉजी, रिवर इकोलॉजी, हाइड्रोलॉजी और रिवर बायोडायवर्सिटी से जुड़ा शोध किया जायेगा. डॉल्फिन किन-किन परिस्थितियों में माइग्रेट करती है, क्या क्या थ्रेट हैं, उनके शरीर में पाये जाने वाले हेवी मेटल, पेस्टीसाइड एवं अन्य केमिकल का बायो एक्यूमुलेशन कितना है, इनका विजन कैसे कम हो गया है, आदि विषयों पर शोध कार्य किया जायेगा.
2021 के सर्वे में गंगा नदी में 1448 डॉल्फिन दिखीं
2021 के सर्वे में गंगा नदी में 1448 डॉल्फिन दिखी थीं. यूपी बॉर्डर चौसा से कटिहार के मनिहारी तक गंगा नदी में डॉल्फिन का सर्वे किया गया था. साथ ही गंगा की दो सहायक नदियों गंडक और घाघरा नदी में डॉल्फिन का सर्वे हुआ था. इसमें 195 डॉल्फिन मिली थीं. कोसी नदी में भी सर्वे हुआ था, जिसमें लगभग 200 डॉल्फिन मिली थीं.