रमण कुमार मिश्र, मधुबनी.
नेपाल में भारतीय रुपये का मूल्य ( Indian currency rate in nepal) लगातार कम होता (Indian currency rate down in Nepal )जा रहा है. सरकारी कार्यालयों से लेकर दुकानों तक में अब भारतीय नोट (indian currency) का प्रचलन पूरी तरह बंद कर दिया गया है. ऐसे में भारत से नेपाल जाने वाले लोगों को नेपाल में नोट एक्सचेंज करने पर भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. पहले भारतीय एक सौ रुपये के बदले 160 से 162 रुपये तक नेपाली नोट दिया जाता था. अब वहां पर मनमानी की जा रही है. भारतीय लोग मजबूरी में जो कीमत मिल जाये, उसी से संतोष कर रहे हैं. आलम यह है कि पांच सौ रुपये का नेपाल में 700 से 750 रुपये तक ही दिया जा रहा. इसका कम से कम 800 नेपाली नोट मिलना चाहिए. भारतीय नोट के प्रचलन को नेपाल में बंद किये जाने से संबंधित सूचना पेट्रोल पंप सहित अन्य दुकानों व सरकारी कार्यालयों तक पर चिपका दिया गया है.
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नेपाल में जाने के लिए भारतीय क्षेत्र के लोगों को वाहन का भंसार लेना जरूरी है. पूर्व में भारतीय क्षेत्र के लोग नेपाल जाते समय भारतीय नोट लेकर शान से जाते थे, कहीं पर भी नोट का आदान-प्रदान आसानी से हो जाता था. नेपाली लोग भारतीय नोट पाकर उत्साहित भी होते थे. अब हालात बदल गये हैं. भारत में नोटबंदी के बाद नेपाल में दो हजार, पांच सौ के नोट पर रोक लगी थी. इन दिनों नेपाल में भारतीय दस रुपये का नोट भी नहीं लिया जा रहा. आलम यह है कि नेपाल में प्रवेश से पूर्व भंसार कार्यालय (सीमा पर स्थित नेपाली कार्यालय) भी भारतीय नोट नहीं ले रहा. ऐसे में जब भारतीय लोग नेपाल में प्रवेश करना चाहते हैं, तो उन्हें अपना नोट नेपाली नोट में बदलना ही पड़ेगा. पांच सौ के नोट देने पर बिचौलिये मात्र 700 से 750 रुपये ही देते हैं. नेपाली नोट के एक्सचेंज का कारोबार करने वालों ने बताया कि जितना अंदर नेपाली क्षेत्र में भारतीय नोट लेकर जाते हैं, उतनी अधिक परेशानी बढ़ेगी. कीमत कम मिलती जायेगी. यह हालात क्यों है, इसकी कोई ठोस जानकारी कोई नहीं दे रहा.
इन दिनों नेपाल के हिलेसी शिव मंदिर में जाने वाले भारतीय श्रद्धालुओं की भीड़ है. रोजाना श्रद्धालु विभिन्न वाहनों से नेपाल के रास्ते हिलेसी जा रहे. जनकपुर, काठमांडू में पशुपतिनाथ महादेव के दर्शन को भी लगातार लोगों का आना जाना लगा है. इन श्रद्धालुओं को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा. भारतीय नोट के बंद हो जाने से वहां हर सामान की खरीदारी करने पर नुकसान उठा रहे हैं. जानकारों का कहना है कि बीते तीन-चार माह में इस प्रकार से हालात बदले हैं. जयनगर चैंबर ऑफ कामर्स के महासचिव अनिल बैरोलिया बताते हैं कि जनवरी फरवरी तक हालात पूर्व की तरह ही सामान्य थे. तीन-चार माह में पता नहीं नेपाल व भारत सरकार के बीच किस प्रकार का समझौता या वार्ता हुई है, भारतीय मुद्रा का लगातार वहां पर अवमूल्यन हो रहा है.
अनिल बैरोलिया बताते हैं कि सीमावर्ती हर बाजार पर इसका बुरा असर पड़ा है. नेपाली ग्राहक भी कम आने लगे हैं. इसका हमारे आपसी संबंधों पर भी बुरा असर है. पूर्व से हमारा नेपाल के साथ बेटी-रोटी का संबंध होने के कारण वहां रहने वाले हमारे संबंधियों के पास भी काफी भारतीय रुपये हैं, इससे पहले नेपाल के बाजार में कारोबार हो जाता था. अब नहीं हो रहा. ऐसे में नुकसान उठाते हुए लोग सामान की खरीदारी कर रहे हैं.
भारत और नेपाल के बीच संबंध सदियों पुराना है. सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और धार्मिक रुप से दोनों देशों को जोड़ता है. वर्ष 1950 से लेकर अबतक नेपाल में कई समस्याएं आईं, लेकिन भारत हमेशा नेपाल के साथ खड़ा रहा. हालांकि हाल के कुछ समय में दोनों देशों के बीच के संबंध में उतार-चढ़ाव देखने को मिले. भारत-नेपाल संबंधों की शुरुआत वर्ष 1950 की मैत्री और शांति संधि के साथ शुरू हुई थी. यही कारण है कि अभी तक भारतीय मुद्रा हमेशा से नेपाल में आसानी से चलती थी. नेपाल के लोगों का कहना है कि आज भी हमारे पास 1000 रुपये और 500 रुपये के पुराने भारतीय नोट पड़े हैं, जिन्हें वापस नहीं लिया गया है. बताते चलें कि 8 नवंबर 2016 को भारत सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए देश में 500 और 1000 के नोटों के चलन पर प्रतिबंध लगा दिया था. नोटों के प्रचलन को बंद करने से नेपाल में अब भी पुरानी भारतीय करंसी के अरबों रुपये फंसे हुए हैं.
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