गया से गुजरने वाली सभी ट्रेनों में लंबी वेटिंग लिस्ट, श्रद्धालु इन स्टेशनों पर जाकर पकड़ रहे ट्रेन
Indian Railways News Update: पितरों का श्राद्ध कार्य करने के बाद अब कुछ तीर्थयात्री बनारस, काशी, तो कुछ प्रयागराज में संगम स्नान व पूजा-पाठ करते अपने घर लौटना चाह रहे हैं. लेकिन उन्हें आरक्षित कंफर्म रेल टिकट नहीं मिल पा रहा है.
गया. गयाजी में पितृमुक्ति का महापर्व त्रिपाक्षिक यानी 17 दिवसीय पितृपक्ष मेला महासंगम नवरात्र के पहले दिन गायत्री घाट में पिंडदान, तर्पण के साथ पूरी तरह संपन्न हो गया. अपने पितरों का श्राद्ध कार्य करने के बाद अब कुछ तीर्थयात्री बनारस, काशी, तो कुछ प्रयागराज में संगम स्नान व पूजा-पाठ करते अपने घर लौटना चाह रहे हैं. कुछ यहां से सीधे अपने घर लौटने की सोच रहे हैं, पर उन्हें लौटने के लिए आरक्षित कंफर्म रेल टिकट नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में हजारों श्रद्धालु शहर में ही ठहरने पर मजबूर हैं.
बनारस जाकर पकड़ रहे ट्रेन
पितृपक्ष मेले में देश के कोने-कोने से लाखों तीर्थयात्री यहां पिंडदान के लिए पहुंचे थे. वहीं, वर्तमान में दशहरा आदि पर्व-त्योहार को लेकर ट्रेनों में सीटें फुल हैं. गायत्री घाट पर मध्यप्रदेश के चित्रकुट व रीवा से आये तीर्थयात्री मुनीष बहल व नागेंद्र दूबे ने बताया कि उन्हें अपने घर लौटने का आरक्षित रेल टिकट नहीं मिल रहा. अब वे यहां से पंडित दीनदयाल उपाध्याय या बनारस तक किसी पैसेंजर ट्रेन से जाकर वहां से फिर कोई ट्रेन या बस से अपने घर लौटने की सोच रहे हैं. वहीं, भारत दर्शन यात्रा टूर एंड ट्रेवल्स एजेंसी में कोई बस आदि सवारी गाड़ी का पता करने आये छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चंपा व जसपुर के यात्री अनिमेष व सुरिंदर ने बताया कि वे लोग 34 यात्री हैं.
कई ट्रेनों में लंबी वेटिंग लिस्ट
यहां से सीधी ट्रेन में टिकट नहीं मिल रहा है. अब वे बस से जाना चाह रहे हैं. इसकी बुकिंग के लिए आये हैं. उधर, बंगाली धर्मशाला में ठहरे पश्चिम बंगाल वीरपुर व हल्दिया के तीर्थयात्रियों ने बताया कि उन्हें भी ट्रेन में कंफर्म टिकट नहीं मिल पा रहा है. वे भी बस आदि से या फिर गोमो, धनबाद जाकर किसी ट्रेन आदि के माध्यम से अपने घर लौटने की सोच रहे हैं. उनके साथ 14 लोग हैं. वहीं, अधिकतर तीर्थयात्री स्टेशन पहुंच कर भटक रहे हैं. कई ट्रेनों में लंबी वेटिंग लिस्ट है. किसी-किसी तरह जुगाड़ लगाकर श्रद्धालु घर जा रहे हैं या फिर कुछ दिन शहर में ही रहने की सोच रहे हैं.